दर्द की अपनी एक अलग सी ही अदा है,
ये तो बस सहने वालों पर ही फ़िदा है-
मैं मोम का नहीं, फिर भी पिघल सा जाता हूँ...!
न जाने उसकी अदाओं में, ये कैसी गरमाहट हैं...!!-
पूछा था तेरे मोहल्ले में, वो शख़्स किधर गया है
पता चला कि बरसों बाद तेरा आशिक़ घर गया है ।
अग्यार था दुनिया से, बस तुझसे वास्ता रखा था
सजकर आता था तेरे लिए, वो आज बिखर गया है ।
तेरी सोहबत में चला, तेरी सोहबत में ठहर गया
वो ज़माना भी खूबसूरत था, जो अब गुजर गया है ।
आक़िल था बहुत, पर मोहब्बत का मारा था
तासीर में इश्क़ की, वो रूह से निखर गया है ।
इक इक्तिजा थी कि, निगाहों में भर ले निगार को
मोहब्बत का अज़ाब पाकर, वो आज मर गया है ।
दास्तान-ए-इश्क़ सुनकर आब-ए-चश्म निकले
'अभय' को यूँ फ़िदा देख, क़ातिब भी डर गया है ।-
Oye Sun,
तुझसे कहाँ
जुदा हूँ मैं ,
इक तुझपे ही
फ़िदा हूँ मैं..!!!!-
तेरे हाथों की मेहंदी देख कर फिदा हम हो गए ..
सीना खाली रह गया और दिल तुम ले गए..!!-
...और हुआ यूँ कि हमें एकबार फिर से
ख़ुद से इश्क हो गया
ऐ मिदाह! हूँ मैं तुझपे फिदा ❤-
फ़िदा हो गई हूँ उस पर,
वह ऐसे फ़रेब कर गया।
मैंने रोका बहुत ख़ुद को,
दिल निगाहों पे मर गया।-
Uske gali se aate aate
Dil wohi kahi kho gya
Aankhon ko unka deedar jo ho gya
Ab kya batau mera haal kya ho gya
Bas itna jan lo ki dil uspe kuch fida sa ho gya.-