इल्तिजा है तुमसे ❤
फिलहाल कुछ दिन कम ख़फ़ा होना तुम हमसे,
इस दौर के चलते तुम्हें मनाने नही आ पाएंगे !-
√तन्हाइयो में अक्सर खुद से सवाल पूछ लिया करती हम
❤🍃
√कि तुम वही होना, की जिसके दिन की शुरुआत मेरे नाम से हुआ करती थी!
तुम वही होना जो कभी मुझे बेइन्तेहाँ मोहोब्बत किया था!
🍃🥀
√क्या तुम जानते हो कितनी खुशकिस्मत समझती थी में खुद को ..
जब भरी महफिलो में तूम मेरा ज़िक्र करते थे, तुम्हारे हर नज़्म, लिखे हुए हर जज़्बात में सिर्फ मेरा ख्याल होता है! 💙
√ कहाँ गई वो तुम्हारी मोहोब्बत, कहाँ गये वो एहसास
जो तुम अपनी रूह से बढ़कर मुझे करते थे।
√√कभी सोचा नही था की, ऐसे भी मोड़ पे ला कर
खड़ी कर देगी ये दिल्लगी तुम्हारी! 🧡
√√जिसे चाहा मैंने दिलों जान से, जिसपे फ़ना होने का दिल चाहता है!
काश सोच और समझ पाती में, की हर ददिल्लगी करने वालो की मोहोब्बत अधूरी ही रहती है! ❤
√जनती हूँ तुम्हारा ईन्तज़ार करना बेवकूफी है,
जनती हूँ की अब मूढ़ कर देखना अब आदत नही रही तुम्हारी! 💜
√पर तुम्हें चाहा है मैंने कुछ इस कदर,
की कभी तो तुम्हें होंगी कदर इस शख़्स की!
√कभी तो तुम्हें मेहसुस् होगा की ऐसा पीछे छोड़ चला हूँ में,
जो मेरी चाहत है, दुआओ में उठती मेरी इबादत है!
❤🙏-
सुनो।
मे चुप रह कर तुम्हारी सारी बाते सुनूँगी,
पर जो मे सुनना चाहती हूँ वो कहोगे क्या?-
मे क्यू सवारु खुद को तुम्हारी एक हाँ के लिए ,
के इश्क़ तो सदगी से किया जाता है।-
आज कल उसे कुल्हड की चाय से ज्यादा
मेरे हाथों की चाय पसंद आ रही है, लगता है
इश्क़ बदल रहा है-
वो कोन है -
वो कोन है जो हर पल साया सा साथ है ,
जो आँखो में पानी सा है ,
और होंठो पर मुस्कान सा है!
जो मंदिर मे मूर्ति सा है और मन मे भक्ति सा है।
जो बारिश में बूंदों सा और दिन मे सूरज की धूप सा है
वो कोन है , जो कान्हा की धुन सा है
जो राधा के मन सा है ।
जो रात मे ख्वाब सा और सपनो मे सवाल सा है।
वो कोन है?
जो शायर की शायरी सा है
और दुनिया मे यारो सा है ।
वो कोन है???
Shivi sharma🥀
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कितना भी वक्त क्यू न गुजर गया हो हमारे रिश्ते मे
पर मुझे आज भी तुम्हे छुपकर देखना अच्छा लगता है।
❤🥀
तुम्हारा मुझे यूँ देखना, और मेरा यूँ शर्मा के नज़रें फेरना
अच्छा लगता है।
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ये अधूरे चाँद की तरह उसका इश्क़ भी कुछ अधूरा
सा है, न आधे जितना आधा है, न पूरे जितना पुरा ।
ना जाने चाहते क्या है वो, हम तो पूरे है उनमे,
वो ही कुछ अधूरे से मुझमे।-
सुना है बोहोत कुछ सीख चुके हो तुम,
मगर तालिम न सिख पाए, किसी से इश्क़ करने की।-