आजादी की टोली मे एक फ़कीर था झोली मे,
कोई द्वेष नहीं सिर्फ मीठापन था उसकी बोली मे...!!
राहो मे जब भी वो चलता था,
लोग खुद ही जुड़े जाते थे...!!
आंदोलन जब भी करता था,
होश अंग्रेजो के उड़ जाते थे...!!
उसने अपनी बोली को गोली सा हथियार बनाया,
भारत मे हर इंसान का उस वक़्त था ये साया...!!
अहिंसा का ये पुजारी था हजारों तोपों पे भारी,
जला दिया अंग्रेजो को ऐसी थी ये चिंगारी...!!
देशहित मे जीवन उसने पूरा जेलों मे काट दिया,
मरने के बाद कुछ लोग बोले,
इसने ही देश को बाँट दिया...!!
बोल के ऐसा किसी को नहीं,
तुमने भारत को है आघात किया
घर मे बैठे के तुम क्या जानो,
कैसे उसने आजाद सांस दिया...!!
गाँधी कोई नाम नहीं सोच है इस भारत की,
रखी हुई एक मजबूत नीव है,
इस राष्ट्र के इमारत की...!!
गांधी एक सोच है इस भारत की...!!
-©️Saurabh Yadav...✍
-
हमारे बापू प्यारे बापू
अहिंसा के रखवाले बापू
सच्चे व्यक्तित्व
के निर्माता बापू
भारत में हो राम राज्य
ऐसा कुछ चाहे थे बापू
सादा सरल जीवन
एकादश व्रत अपनाने वाले बापू
हमारे बापू प्यारे बापू
अहिंसा के रखवाले बापू-
उन्के संदेश
थे
है
हमेशा रहेंगे ...
वह महात्मा
थे
है
हमेशा रहेंगे ..!!
“Happy Gandhi Jayanti”-
इस देश मे सिर्फ बेटी या बेटे पैदा हुए,
इस देश का कभी कोई बापू और चाचा नहीं हुआ,
देश 1947 मे नहीं बना था,
हमने सिर्फ आजादी 1947 मे हासिल की थी,
हमारा इतिहास कुछ दशकों नहीं,हजारों साल का है,
जिसमें हजारों महानायक,देवता,समाजसेवक,समाज सुधारक आए,
लेकिन क्या किसी ने भी खुद को देश का बाप बोला?
मुझे इस बात पे जरा भी शक नहीं की आजादी के महानायक गाँधी जी थे,
उनके अनंत देश प्रेम पे शक करना ही पाप है,
हाँलाकि उनके लिए कुछ फैसलों से मेरा उनसे विवाद है,
पर उन विवादों के बीच उनका सम्मान भी उतना ही है,
मै समझता हूँ कि हमारे भारत मे तो भगवान भी उतरे,
फिर भी हमने उन्हें बाप नहीं आदर्श बनाया,
तो कोई देश का बाप नहीं हो सकता,
यह भूमी देती ही आई है इसलिए यह माँ है,
लेकिन कभी कोई इसका बाप नहीं हो सकता,
गाँधी जी देश के बेटे थे ,
देश के बाप नहीं ।।-
तुझे लाखों बार
कई लोग उड़ गए है,इस आंधी में
के कितना जोर है,लाठी वाले गांधी में
वो नफ़रत के पुजारी क्या जाने तेरा मोल
जो बिक अंग्रेजो के चंद रुपए और सोने चांदी में— % &-
राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले जी यह मानते थे कि जब तक
भावी पीढ़ी का निर्माण करने वाली माताएं व बहने
अशिक्षा के अंधकार में डूबी रहेंगी तब तक हमारा देश
व समाज की वास्तविक उन्नति नहीं हो सकती और इसलिए
उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने पर बल दिया।
जब इस कार्य के लिए उन्हें कोई महिला शिक्षिका नहीं
मिली तो उन्होंने स्वयं अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले
को शिक्षित कर शिक्षिका बनाया जिससे वह महिलाओं
को शिक्षा दे सकें और 1848 में प्रथम महिला
विद्यालय की स्थापना की।
महात्मा फुले ने किसानों और श्रमिकों के हितों व
उनके समृद्ध जीवन के लिए भी अनेकों प्रयास कियें
और उन्हें शिक्षित और संगठित किया। उन्होंने देश के
युवाओं से आह्वान किया था कि वे देश, समाज,
संस्कृति को सामाजिक बुराइयों तथा अशिक्षित से
मुक्ति करें और स्वस्थ व सुद्दढ़ समाज के निर्माण के
लिए आगे आयें।
-
वाह रे गांधी, ऐसी चलाई तूने आंधी,
आया लंगोट में, छप गया सीधा नोट पे।-
मर जाने तक ..
जरूरतें ही हमें जिंदा रखती हैं
और कुछ लोग ऐसा काम करते है
मर जाने के बाद...
दुनिया उनको याद करती है
और उनके न होने का
एहसास करती है...-
मर जाने तक ..
जरूरतें ही हमें जिंदा रखती हैं
और कुछ लोग ऐसा काम करते है
मर जाने के बाद...
दुनिया उनको याद करती है
और उनके न होने का
एहसास करती है...-