....
-
सफर-ए-इश्क अब खत्म ही समझिए साहब
उनके फैसलों में फासलो की महक आ रही है-
जब हमारे बीच फासले थी, तब भी एक उम्मीद थी...
आज तु करीब है फिर भी कोई उम्मीद नहीं...-
ये मोहब्बत भी बड़ी अजीब है मेरे यारा ,💞
ज्यादा नजदीकिया भी जायज नहीं होती ,👈
और ज्यादा फ़ासले भी जायज नहीं होते..!!!! 😌-
باخدا برسوں کے فاصلے بھی نہ بن سکے شبنم
سلگ سلگ کرجلتا ہے دل تیرے عشق کی آگ میں آج بھی
Bakhuda barso ke faasle bhi na ban sake shabnam
Sulag sulag kar Jalta hai dil Tere ishq ki aag me aaj bhi
✍️رائٹس۔ناعمہ اصلاحی
-
अच्छा सुनो
ये जो हमारे बीच है इसका अंत जरुरी है
क्या हम इसे इसी मोड़ पर छोड़ नही सकते
-
फ़ासले कम न हुए
फिर से आ गये हो तुम मेरे क़रीब, फिर से जुड़ गया है अपना नसीब;
पर मेरी कैफ़ियत अब है कुछ अजीब, अब तुम नहीँ लगते मुझे, मेरे हबीब।
ये रिश्ता नहीं लगता है वैसा अटूट, जैसे मोहब्बत गई है कहीं पीछे छूट;
जैसे मेरे अन्दर कुछ गया हो टूट, जैसे मुझे किसी ने लिया हो लूट।
अब ये शायद एक मजबूर रिश्ता है, अब ये वैसा रिश्ता ए मुहब्बत नहीँ;
जिस्म तो मेरा यहाँ तुम्हारे पास है, पर मेरी रूह जैसे छूट गई है वहीं।
जहाँ बेरहम अल्फ़ाज़ के नश्तर से तुमने, मेरे नाज़ुक वजूद के उड़ा दिए थे चिथड़े;
अपने सितम का ना था तुम्हे कोई मलाल, वरना हम कभी न होते बिछड़े।
ज़माने की रुस्वाई का ख़्याल रख कर, मैंने इस रिश्ते को दिया है एक और मौका;
लेकिन मेरा दिल अब नहीँ है तैयार, तुमसे खाने को फिर से एक और धोखा।
कहने को तो फिर साथ हम हुए, पर दरमियान के फ़ासले अभी न कम हुए;
नहीं जोड़ पाएगें तुमसे ये रिश्ता फिर से, गर इस बार ये चश्म पुरनम हुए।-
इस शहर की मिट्टी में खाक हो गए,
सपने हकीकत की भटठी में राख हो गए,
दूरियां नापने आया था 'जोसन' कल फिर एक बार,
हैरत हुई जब खुद फासले भी उसके साथ हो गए-