Asif A Khan   (QuoteOfAsif_ख़्यालेआसिफ़)
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Joined 10 July 2020


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17 HOURS AGO

क्यूँ ये आँख सदा शबनमी रहती है
क्यूँ तू दिल में सदा जमी रहती है
यूँ तो भरपूर हैं ज़िन्दगी में शहद
फिर क्यूँ सदा तेरी ही कमी रहती है

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29 APR AT 23:23

मैं तेरे इश्क़ की रौशनी से इस तरह घिरना चाहूँ,
गर तू सामने भी आ जाए तो मैं ना मिलना चाहूँ।

तसव्वुर में रहती है तू हमेशा मेरे रूबरू,
इससे ज़्यादा भला अपने लिए मैं क्या चाहूँ।

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28 APR AT 13:09

सच हो गया है बौना,
झूठ के पेड़ के आगे,

सच हो गया मौना,
झूठ की फेर के आगे।

भरोसा बिखरा हुआ है,
रेत की तरह हर तरफ़,

ज़िंदगियां तबाह हो रही हैं,
नाकामियों के ढेर के आगे।

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28 APR AT 10:31

सैंयाजी जब रूठ गये
शिकवे सभी छूट गये
मिन्नतें भी नाकाम हुईं
वादे सभी झूठ हुये

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26 APR AT 19:19

जाने क्यूँ एक गुल की महक से
डायरी में छिपे गुल की याद आ गयी
मुस्कुराने लगे वो बीते लम्हे लबों पे
एक दिलफ़रेब की बात याद आ गयी

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25 APR AT 23:51

Us Din Samajha Main Teri Muskurahat ka Mol
Jis Din Teri Aankhon Mein Tere Aansu Rahe the Bol
उस दिन समझा मैं तेरी मुस्कुराहट का मोल
जिस दिन तेरी आँखों में तेरे आँसू रहे थे बोल

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24 APR AT 11:12

महक के महकी मैं
बहक के बहकी मैं
अरमाँ की सुलगन से
दहक के दहकी मैं

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23 APR AT 23:51

ये दिल कहीं लगता नहीं, जान! तेरे जाने के बाद;
शायद सुकूँ आएगा अब, जान मेरी जाने के बाद।

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22 APR AT 18:12

इश्क़ ओ वफ़ा का दर्द,
मैं अब कहाँ तक गाऊँ,
मुझे तो लगता है कि,
मैं अब ख़ामोश हो जाऊँ।

हक़ीक़त की दुनिया में,
मैं रोज़ तिल-तिल मरता हूँ,
तसव्वुर की दुनिया में,
मैं अब आज़ाद हो जाऊँ।

यूंँ तो तो बार-बार मैंने,
तेरी याद को दफ़्नाना चाहा,
मैं अब चाहता हूँ कि,
तेरी याद में ख़ुद मर जाऊँ।

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18 APR AT 15:35

ये इक राज़ की बात है,
वो जो अपनी क़ायनात है,
उससे इश्क़ तो है एक तरफ़ा,
पर जन्म-जन्म की बात है।

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