Asif A Khan   (QuoteOfAsif_ख़्यालेआसिफ़)
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Joined 10 July 2020


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Joined 10 July 2020
14 HOURS AGO

मन्नत के धागों की गिरह अब खुलने लगी हैं,
बिन मांगी ख़ुशियांँ भी अब मिलने लगी हैं।
लगता है कि होने लगा है अब रब राज़ी,
मेरे गुलशन की कलियां अब खिलने लगी‌ हैं।

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17 MAR AT 16:12


सुकूँ की हवाएं भी चल जाती हैं,
दुख की घटाएं भी निकल जाती हैं।
इबादत और दुआओं की शिद्दत से,
हाथों की लकीरें भी बदल जाती हैं।।

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12 MAR AT 17:15

गुज़र रही है ज़िंदगी या गुज़र रहा हूंँ मैं,
लम्हा-लम्हा जी रहा हूंँ या पल-पल मर रहा हूँ मैं।

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10 MAR AT 23:32

इस भरोसे पे कर रहा हूँ गुनाह, कि बख़्श देना तो तेरी फ़ितरत है।

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3 MAR AT 22:17

क्या मैं वही हूंँ, या फिर बदल गया हूँ,
जो बिखरा था कभी, अब संभल गया हूँ।
आँखों के सामने से, छट गया है अंधेरा,
उम्मीद के उजाले से, फिर घिर गया हूंँ।

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1 MAR AT 22:40

सोज़-ए-ग़म दे के मुझे उस ने ये इरशाद किया
जा तुझे कशमकश-ए-दहर से आज़ाद किया
Josh Malihabadi

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26 FEB AT 13:51

'सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।' 

सभी सुखी हों, सभी रोगमुक्त रहें,
सभी का जीवन मंगलमय हो, किसी को दुःख का भागी न बनना पड़े.

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23 FEB AT 0:19

परेशानी में भी जैसे, बेफ़िक्री का एहसास रहता है,
मुझे यकीं है कि मौला, तू हमेशा मेरे साथ रहता है।

कितना बेगुमान था कि, क़ाबू में है वक़्त मेरे मगर,
वक़्त तेरे सिवा मौला, न किसी के हाथ रहता है।

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19 FEB AT 19:31

आया था एक ख़ुश ख़्याल, जो अब कहीं खो गया है,
मुझे ख़्यालों में उलझा कर, वो ख़ुद कहीं सो गया है।

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15 FEB AT 9:01

मिट्टी ओढ़ कर सो जायेंगे
एक दिन हम भी माज़ी हो जायेंगे

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