घूमता था वो कभी गलियों में
सारा दिन जो शख़्स आवारा
भाग दौड़ वाली ज़िंदगी में
आज फिर रहा मारा मारा
जो लेता था कभी बैठे बैठे मौज
करता है आजकल वो काम सारा
रहती है फ़िकर आजकल उसको
कैसे चलेगा घर का गुज़ारा
जो था कभी शौक़ीन चीज़ों का
उसने आज अपने शौंक को मारा
रह रहा आजकल घर से दूर
जो था कभी सारे घर का दुलारा
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