श्रेया सिंह   (Shreya, Silent soul 💛)
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Joined 11 June 2019


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सम्भावनायें तो अनंत हो सकती हैं
परंतु सम्भव मात्र एक है

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तुम्हारी गैर मौजूदगी में भी तुम्हारी आहट पहचान सकती हूं
मैं अभी भी तुम्हें ही अपने दिल की दौलत बता सकती हूं

ये शाम ये पतझड़ ये मौसम, हवाओं को भी रंगीन बना देती है
जैसे मैं तुमको आज भी पहचान कर अपना बता सकती हूं

मोहब्बत में इस कदर भी रुस्वाई ठीक नहीं होती
तुम पूछ कर तो देखो मैं तुम्हारी हालत भी बता सकती हूँ




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ये टेबल के ऊपर रखी किताबें गवाह हैं कि वक़्त कितना भारी होगा
घण्टों एक ही सीट पर बैठा अकेला मन अभी हारा नहीं होगा
उल्फ़त के घेरे में कैद हो गया ये, कुछ चाहतें रखता है अब
ज़रूर कहीं पहले भी कुछ हासिल करने से हारा होगा
तवज्जों की गुज़ारिश लिख कर की है हमने हर दफ़ा
सोचो कितने अश्कों को बारिश में उसने बहाया होगा
एक लब्ज़ कहूँ अगर तो कुछ बयान नहीं हो पाएगा
समझने के लिए तुमको भी थोड़ा समझाना होगा

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Shreya, जिंदगी per tumara kya ख़याल hai ?

ख़याल ये है कि:
आज कल हाल कुछ ऐसा है
बस चलने को सासें ही चलती हैं
जिंदगी तो कहीं रुकी सी रहती है

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वो बात करते थे निभाने की
लिखते थे मोहब्बत ज़माने की
कहानी अधूरी रह गई एक ताख पर
जिसे कहा था निभाऊँगा साँस भर

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किसी की ख़ामोशी हो,
खूबसूरत आखें हों
या संगीत के धुन हों

इन्हें शब्दों की आवश्कता नहीं होती
ये निशब्द भाव प्रकट करते हैं और समझते हैं

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मेरी और उसकी कुछ काल्पनिक बातें ♥️


( अनुशीर्षक में पढें 👇)

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तुम डर तो नहीं रही रात के अंधेरे से
आग जल रही देखो धुंआ है बसेरे से

हमराज़,ये किताब तुम यहीं रख दो, क्योंकि
जमाना तो सवाल करेगा मेरे तुम्हारे साथ रहने से

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तुम्हारे बारे में लिख कर शब्दों का अंत कर दूं?
या
तुम्हें सदा के लिए अपने दिल में अनंत कर लूं?

तुमसे इश्क करती हूं ये इजहार खुलेआम कर दूं?
या
दफन कर कहीं खुद को मिट्टी का गुलाम कर लूं?

संगीत के धुन से जोड़कर एक नया राग कर लूं?

तुम्हें देखूँ या आंखों को अब यहीं विराम कर दूं?

ऐसे ही चुप रहकर तुमसे और भी संवाद कर लूं?
या
शीशे को स्पर्श कर ज़ख़्म पर और घाव कर दूं?

तुम ही बताओ कितना मैं खुद को बर्बाद कर दूं?

तड़पकर जियूँ या खुदा से मरने की बात कर लूं?

-Shreya,Silent soul 💛





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मैंने सिर्फ इतना चाहा,
मैंने तुमको अपना बनाना चाहा ......


मैंने कभी बुरा नहीं चाहा
मैंने सिर्फ तुमको चाहा......

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