ये टेबल के ऊपर रखी किताबें गवाह हैं कि वक़्त कितना भारी होगा
घण्टों एक ही सीट पर बैठा अकेला मन अभी हारा नहीं होगा
उल्फ़त के घेरे में कैद हो गया ये, कुछ चाहतें रखता है अब
ज़रूर कहीं पहले भी कुछ हासिल करने से हारा होगा
तवज्जों की गुज़ारिश लिख कर की है हमने हर दफ़ा
सोचो कितने अश्कों को बारिश में उसने बहाया होगा
एक लब्ज़ कहूँ अगर तो कुछ बयान नहीं हो पाएगा
समझने के लिए तुमको भी थोड़ा समझाना होगा
-
Welcome on my pg. ✍
3.17🎂 Pisces♓
Ex- KV'ian ❤
Family 👨👩👧👦💝
Beliver in god's w... read more
Shreya, जिंदगी per tumara kya ख़याल hai ?
ख़याल ये है कि:
आज कल हाल कुछ ऐसा है
बस चलने को सासें ही चलती हैं
जिंदगी तो कहीं रुकी सी रहती है-
वो बात करते थे निभाने की
लिखते थे मोहब्बत ज़माने की
कहानी अधूरी रह गई एक ताख पर
जिसे कहा था निभाऊँगा साँस भर
-
किसी की ख़ामोशी हो,
खूबसूरत आखें हों
या संगीत के धुन हों
इन्हें शब्दों की आवश्कता नहीं होती
ये निशब्द भाव प्रकट करते हैं और समझते हैं
-
तुम डर तो नहीं रही रात के अंधेरे से
आग जल रही देखो धुंआ है बसेरे से
हमराज़,ये किताब तुम यहीं रख दो, क्योंकि
जमाना तो सवाल करेगा मेरे तुम्हारे साथ रहने से
-
तुम्हारे बारे में लिख कर शब्दों का अंत कर दूं?
या
तुम्हें सदा के लिए अपने दिल में अनंत कर लूं?
तुमसे इश्क करती हूं ये इजहार खुलेआम कर दूं?
या
दफन कर कहीं खुद को मिट्टी का गुलाम कर लूं?
संगीत के धुन से जोड़कर एक नया राग कर लूं?
तुम्हें देखूँ या आंखों को अब यहीं विराम कर दूं?
ऐसे ही चुप रहकर तुमसे और भी संवाद कर लूं?
या
शीशे को स्पर्श कर ज़ख़्म पर और घाव कर दूं?
तुम ही बताओ कितना मैं खुद को बर्बाद कर दूं?
तड़पकर जियूँ या खुदा से मरने की बात कर लूं?
-Shreya,Silent soul 💛
-
मैंने सिर्फ इतना चाहा,
मैंने तुमको अपना बनाना चाहा ......
मैंने कभी बुरा नहीं चाहा
मैंने सिर्फ तुमको चाहा......-
तुम्हें खो कर पाया,
तुम्हें पाकर खोया
तुमसे बिछड़ कर मिले, तुमसे मिलकर बिछड़े-
वो मेरी ख़ामोशी को जब नहीं समझ सके तब मैंने चुप रहना ही बेहतर समझा
ये जानते हुए भी कि मोहब्बत में लोग कम ही बोला करते हैं 🙂-