ईद मुबारक ज़िन्दगी।
अगर मज़हब की फ़िक्र करोगे,
तो किसीका मरहम कैसे बनोगे?
बड़ी मुद्दतों के बाद आया हैं,
सिलसिला यह खुशियों का।
साथ मिलकर सब मनाते हैं ईद,
बाँटेंगे मुस्कुराहटें, ईदी और पूरी करे दीद।
हसीन इस मौके पर हम कर रहे आपको याद,
हँसते-मुस्कुराते गले लगे हम, यही हैं फरियाद।
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