रहेंगे आगोश में तेरे उम्र भर
हिरासत जन्नत की अब हमें मंज़ूर नहीं।-
Vipul
(Musafir-vipul)
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यूँ तो शायर हूँ,
जज़्बात लिखता हूँ........
कलम की स्याही से,
दिल-ए-हालात लिखता हूँ
रहे ज़िन्दगी ... read more
जज़्बात लिखता हूँ........
कलम की स्याही से,
दिल-ए-हालात लिखता हूँ
रहे ज़िन्दगी ... read more
Joined 13 March 2019
10 APR 2022 AT 21:43
ज़ेहन को नासूर है उनका नाम भी,
और तन्हाइयों का तक़ाज़ा है
कि उन्हें याद किया जाए-
5 JUN 2019 AT 7:21
खुदा से की एक इबादत को मुकम्मल होते देखा है,
मेने एक पंडित को काज़ी के गले लगते देखा है।
थे मसरूफ वो दोनों इंसानियत के रंग में,
मेने वहाँ न कोई हिन्दू न मुसलमां देखा है ।
ईद मुबारक दोस्तों-
11 JAN 2022 AT 23:29
हज़ारों हसरतों की भीड़ में कहीं खो गए हैं हम,
मुक़म्मल तन्हाइयों में भी
अब खुद से मुलाकात नहीं होती।-
18 NOV 2021 AT 0:35
एक-एक करके रुसवा कर दिया तेरी यादों को
महज़ ये झूठ बोलने की आदत नहीं जाती।-
14 NOV 2021 AT 17:52
खूबसूरती के सारे पैमाने ख़त्म होते है तुझ पर,
हाय! कितने बदनसीब हैं वो लोग जिन्होंने तुझे न देखा।-