रहेंगे आगोश में तेरे उम्र भर
हिरासत जन्नत की अब हमें मंज़ूर नहीं।-
जज़्बात लिखता हूँ........
कलम की स्याही से,
दिल-ए-हालात लिखता हूँ
रहे ज़िन्दगी ... read more
ज़ेहन को नासूर है उनका नाम भी,
और तन्हाइयों का तक़ाज़ा है
कि उन्हें याद किया जाए-
एक-एक करके रुसवा कर दिया तेरी यादों को
महज़ ये झूठ बोलने की आदत नहीं जाती।-
फ़रेब झूठ बोलता रहा मासूमियत ऐतबार करती रही,
आकर्षण जिस्म बदलता रहा मोहब्बत इन्तेज़ार करती रही।-
यूँ ही तो नही हुआ है माहताब इतना खूबसूरत,
हो न हो तूने एक नज़र इसे देखा जरूर है।-
कश्ती किनारे पे आई थी,
हमने संस्कृति अपनाई थी।
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स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं।
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एक बाँध तेरे नाम की और एक संसार की ,
रक्षा करूँगा मैं सदा हर एक बहन के लाज की।-
खुदा से की एक इबादत को मुकम्मल होते देखा है,
मेने एक पंडित को काज़ी के गले लगते देखा है।
थे मसरूफ वो दोनों इंसानियत के रंग में,
मेने वहाँ न कोई हिन्दू न मुसलमां देखा है ।
ईद मुबारक दोस्तों-
हज़ारों हसरतों की भीड़ में कहीं खो गए हैं हम,
मुक़म्मल तन्हाइयों में भी
अब खुद से मुलाकात नहीं होती।-