लोग बहुत हैं गिनती के
जिन्होंने अपनी औक़ात दिखाई।
लेकिन भूलना आसान भी नही,
जिन्होंने इस मुश्किल घड़ी साथ निभाई।
उन अपनों को गैर कहूँ या गैरों को अपना,
जो इंसानियत के नाते हनुमान बनकर
मेरी माँ के लिए संजीवनी बूटी लाई।-
Hum tumpar ek aur ehsaan karte hai
Ye zabardasti ka rishta kyun rakhe
Chalo aaj ise bhi खत्म karte hai-
जिंदगी जुगाड़ कर...
बस इतना सा तू काम कर...
बेमौत मार दे मुझे...
बस इतना एहसान कर...
जिंदगी जुगाड़ कर...-
यक़ीं है तुमपर...कहूँ कैसे ...कश्मकश जारी है
क़ीमत सिक्कों की कम है ...वज़न भारी है
🍷
( हाली )-
Meetha dikhakar zeher
pila dete hain,
Log dost banakar
Ehsaan gina dete hain!-
तुम्हरा प्यार कभी कभी हज़म नही होता है मुझे , गुस्सा , प्यार , इमोसन सब एक में मिला देती हो ।
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मुझ पर एक एहसान कर दो।
मेरे हर ख्वाब को हकीकत कर दो ।
दुआओ में मांगा है रब से हमेशा तुम्हे ,
खुद को आज इसी वक्त मेरे नाम कर दो ।-
Riha kar do mujhe
duniya ke bematlab sawalon se
Ek ehsaan kar do
Khud ko le jaao mere khayalon se-
कोई भूल जाता हैं तो, कई भुला दिए जाते हैं।
कितनी भी गहरी लिखावट हो,सब मिटा दिए जाते हैं।।
इसीलिए मैं अब तक, पहली सफ़ में नहीं बैठा।
अमीर-ए-शहर के आने पर,हम उठा दिए जाते हैं।।
खबर ये थी कि बादशाह ही चोर है यहाँ।
खबर आने से पहले,अख़बार जला दिए जाते हैं।।
मेरे मुल्क़ में जब भी, किसी पर ज़ुल्म होता हैं।
मशालें ऊपर उठती हैं, चिराग बुझा दिए जाते हैं।।
जो एहसान करते हैं हम पर, उन्हें बहुत शुक्रिया "नदीम"!
लेकिन वक़्त आने पर,सब एहसान जता दिए जाते हैं।।
—N@D€£M K #@N-