ख़ुद को तोड़ने से बेहतर मेरा दिल तक्सीर कर देते, गर ख़ुश हो तो ज़ाया मेरी तदबीर कर देते । ज़हन से मिटा ना पाए मेरी यादों को तुम , अच्छा होता जलाकर राख़ मेरी तस्वीर कर देते । बुझाकर बैठे हो उम्मीदें दिल की सारी , जलाकर डायरी यादों की ज़ुल्मत को तन्वीर कर देते । ताज़ीर सिर्फ़ ख़ुद को क्यों ? ख़ुश होती 'शरण्या' गर शमशीर से चीर उसे तुम हीर कर देते ।