मैं धूल नहीं हूँ चरणों की
मैं तूफानों पर भारी हूँ
मैं ज्वाला से भी गर्म लौ
मैं शीत से शीतल नारी हूँ
ऐसे ही मिटा दोगे जो मुझे
फिर मान कहाँ से पाओगे
मेरे कोख़ में पलते देव सभी
भगवान कहाँ से लाओगे
अरे शिव भी आधे हैं शक्ति बिन
तुम पूरे कैसे होगे
ख़त्म हो गई धरा अगर
बोलो ज़वाब कैसे दोगे
इन अभिमानी रीतों में
मुझको अब न जकड़ो तुम
हैं दैत्य बहुत इस धरती पर
इनको भी तो पकड़ो तुम-
(अंतर्द्वंद)
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अपनी आंखो से पिलाती है जाम सारे वो ,
उसकी खुशबू में कोई नायाब नशा है,
बड़ी सिद्ध से तराशा होगा खुदा ने उसे ,
उसके आगे तो शहर भर का शराब फीका है।♥️-
ये झुकी निगाहें जैसे बिजली गिराए,
खुले उलझे बालों से हवाएं मुड़ जाएं ।
ये उदास सा चेहरा लिए क्या सोचती हो,
ये शामें ये राते सब तेरे लिए हैं,
ये दिन ये उजाले सब तेरे लिए हैं ,
ये सूरज की गर्मी,
ये चांद की सर्दी ,
सब तेरे लिए है सब तेरे लिए है
नदियों का मीठा पानी,
चिड़ियों की मीठी वाणी
सब तेरे लिए है सब तेरे लिए है
ये झरने ये लहरे हैं सागर जो गहरे
ये कोयल की कू कू सब तेरे लिए है
बाहें खोल लग जा गले
ये दुनिया ये गजलें सब तेरे लिए हैं❤️-
तेरी आँखों में जग है समाया हुआ
लाखों सपनो से आँगन बसाया हुआ
एक नज़र भर के मुझको जरा देखने दे
ख़ुदा कोई जन्नत से आया हुआ ।
तू है आई परियों के देश से
तूने घर को है जन्नत बनाया हुआ है
फैली है इत्र सी महक हर कहीं
जिस जगह तूने कर को लगाया हुआ ।
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घुमक्कड़ हूँ
मैं कहानी छोड़ जाऊंगा ,
गर ठहरा कहीं
मैं जवानी छोड़ जाऊंगा ,
उसकी आँखों में दिखते हैं बादल घने
मैं बहती दरिया का पानी छोड़ जाऊंगा ,
उसकी मुस्कान से मिलते हैं मोती मुझे
उस मोती के लिए दौलत खानदानी छोड़ जाऊंगा ।-
सब भूखे हैं रोटी को
ग़लती यहाँ कौन करता है ।
आग भूख की लगती है जब
तो ख़ुदा से कौन डरता है ।
सब लगे हैं कमज़ोर के पीछे
यहाँ शेर का शिकार कौन करता है ।
अन्याय होता है जब ग़रीब पर
ये बोलता समाज मौन रहता है ।-
तेरे पास होकर भी तुझसे दूर रहा हूँ,
मैं अक्सर हालातों से मजबूर रहा हूँ।
ख़यालों में हरदम होती हो तुम मेरे,
काशी होकर भी गंगा से दूर रहा हूँ मैं ।।
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हो कोई तरकीब तो वो दिन वापस लाऊँ
हो कोई तरकीब तो तुमको फिर से गले लगाऊँ
हिचकियाँ तुम्हे भी तो आती होंगी ! मेरा नाम लेती हो ?
मैंने अक्सर हिचकियों को भगाया है तुम्हारा नाम लेकर ।-