दिवस था सात्विक
और
निशा थी तामसिक।
जब इन दोनों का
मिलन हुआ तब
सात्विक ओर तामसिक
दोनों प्रवृत्तियों के साथ
जन्मा 'मनुष्य'।
भोर हुआ पुरुष
और साँझ हुई स्त्री।-
Din Ho Ya Raat Bas Tere Hi,
Khayalon Me Khoye Rahte Hain,
Jab Teri Yaad Rulati Hai,
To Tasveer Bhigo Diya Karte Hain.-
अब रात नहीं होती, बस रंग बदल जाता है दिन का
इतना व्यस्त हो गये हैं सब, काम ही पूरा नहीं होता
मिलना जुलना सपन सुहाने,अब दीदार नहीं होता
अब बात नहीं होती, बस कॉल आ जाता है उनका।-
फिर से अधूरी अपनी बात हो गई,
कुछ और बाते करते पर अब थोडी देर हो गई,
हर रोज की इतनी बाते है कहने सुनने को
तुमसे बाते शुरू ही की थी,
लगा जैसे पलक झपकते ही दिन से रात हो गई
-
Na jaane kab "wo " mere life mein aaega 😉
Jiske dil 💓 ke mai sabse kareeb rahungi 😍
Jo sirf aur sirf mera hoga ☺
Jise main apne sare din aur raat saupungi 🙈-
ऐसे जम गए हैं ये दिन ये रात,
जैसे बर्फ में ना हो रही हो पानी की शिनाख्त,
लम्हा लम्हा लोग हो रहे मुश्किलों में गिरफ्त,
फीकी पड़ने लगी है सारी इंसानी काबिलियत..-
मत पिया करो ,यूँ दिन और रात शराब..
कर देगी ये घर परिवार और लीवर भी ख़राब...!-
कभी तो छूकर जाती होगी,
ठंडी सी पुरवाई चुपके से,
कभी तो कोई ख्याल झांगता होगा,
यादों के झरोखों से,
कभी तो पलकें तरसती होगी,
किसी ख़ास के दीदार के लिए,
क़भी तो दिल ढूंढता होगा,
दिल वो खोया हुआ पल,
कभी तो छूकर जाती होंगी,वो छुअन
तेरी भीगीं सी तन्हाई को 💕-
Voh kehte hai mere paas raho
Mere aaspas raho
Mere ishq main din raat raho
Matlab barbaad the
Barbaad ho aur
Barbaad hee raho.!-