Sukun ✍   (सुकून!)
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Joined 1 August 2018


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9 HOURS AGO

कभी मैं तो कभी हालात नहीं
पहले थी जो अब वो बात नहीं।
डर लग रहा है अब गमों से मुझे
उम्र भर डरने की कोई बात नहीं।
कितने ही लम्हे अब आएं हसीं
मुझे अब तुझसे शिकायत नहीं।
तेरे जाने से मेरा कुछ ना रहा
दिल को जीने की हसरत नहीं।
दिल में ख्वाईश है नाकाम सी
'सुकून' से जी लूँ हालात नहीं।

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11 HOURS AGO

आँसूओं को यूँ अपना ना बनाओ
ये झुकी निगाहें हमसे मिलाओ
पल दो पल की जिंदगी
खुशी से बिताओ!

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23 HOURS AGO

तुझसे प्यार कर तो लेता
पर तू तो तारों संग आती है।


(कैप्शन में पढ़िए 👇)

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27 APR AT 21:59

उन आँखों में चुभ रहा है गम
कभी जिनमें गुलाब महके हैं।
उन ख्वाबों को अब कहाँ रखें
जो इश्क़ के गम से छलके हैं।
शाम होने को आए तो बल्ले
गम चुभे है आँसू ढलके हैं ।
बस एक सवाल इस गम में
हर जवाब आँखों में चमके हैं।
बेहतर होता कि डूबे ही रहते
नजरें बचा बचा के झाँकते हैं।
गम के सिवा भी था कोई इनमें
उस बसींदे को 'सुकून' कहते हैं।

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27 APR AT 17:00

उसी राह पर हूँ मैं अब तक सफर में
जिसपर कभी तुम हमसफर थे।
पूछ लिया थोडा झिझकते हुए
तेरा वो पुराना साथी किधर है।
इसी भरोसे पर चलता रहा कि
बेशक नहीं साथ तू हमसफर है।
दौलत नहीं कोई शोहरत नहीं मेरी
बस तेरे नाम पर ही मुझको फख्र है।
अब तक तेरे साथ चलकर जो पाया
जमीं से आसमां तक तू नजर है।
तेरे बदले में क्या खोया मैने
तेरे अक्स का मोहब्बत पर असर है।
एक बार पाया तुझे ऐसा पाया
आने जाने का झंझट बेअसर है।
असर भी दिख रहा है सुकून भी
गम किधर भगा हम तो बेखबर हैं।

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27 APR AT 14:48

आसमां से चाँद उतर के जमीं पर आ गया
ख्वाबों में स्वर्ग मेरी बाहों में समा गया।

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26 APR AT 21:52

पकड़ के सूरज आसमां से तुझको खोज लाउँगी
जमाना बदल गया है यार तुझे अपना बनाऊंगी!

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26 APR AT 21:36

कहीं पहाड़ कहीं खाई गहरी!
कहाँ पर होगा रेगिस्तान
और कहाँ होगा मैदान!
कहाँ पर होंगे समंदर
कहाँ होंगे मैदान बंजर!
कहाँ जमीं हो सूखी सूखी
और कहाँ पर हो नदी!
कहाँ और कब हो बरसात
कहाँ सूखे का उत्पात!
कहाँ पर होगी बर्फबारी
कहाँ पर होंगे जंगल भारी!

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25 APR AT 20:10

मुझे जो पसंद है वो बेहिसाब है
हाँ, वो है पसंद मेरी वो लाजवाब है!
उसकी तारीफ़ में जमाने की तारीफ़
अगर के वो फूल है तो वो गुलाब है!
उसके जिस्म के हर तार की झनक में
वो चमके जैसे आसमां में आफ्ताब है!
उसकी अना-परस्ती का कोई जवाब नहीं
मेरी वो पहली गज़ल वाली किताब है!
उसके इश्क़ का जुनूँ इस क़दर है हावी
उसकी यादें हैं कस्ती मेरा दिल चिनाब है!
अगर हूँ सोया सोया हर वक़्त हर घड़ी
मेरी इन नींदों का वो प्यारा सा ख्वाब है!

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25 APR AT 16:55

बेशक हैं बदनाम हम पत्थर दिल के नाम से
आपकी एक मुस्कुराहट पर कैसे पिघल गए!

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