दुश्वारी ज़िंदगी की अब बड़ी लगती है ,
कई दफा तो जान गँवाना भी सही लगती है l
तुझे देख चश्म ए नम भी मुस्कुराने लगती है ,
पर तेरे जाते ही आँखों से पानी आने लगती है l
तुझसे दूर जाने का ख्याल रुलाने लगती है ,
किसी भी मौसम में तेरी याद आने लगती है l
ये समाज की रस्मे पुरानी लगती है ,
इन्हे हमारी प्यार छुआछूत की कहानी लगती है l
मुझे वो शखी भी अच्छी लगती नहीं ,
जो मुझे तेरे खिलाफ बलगलाने लगती है l
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