गुल - अंदाम लब से यूँ अग़राज कर गए
कुछ दस्तियाब लम्हों को वो खास कर गए
चन्द शब ओ रोज़ गुज़रे औ' हमराज़ बन गए
फिर तारों का तालिब वो औ' महताब बन गए
इमरोज़ बहके जिस्म औ' सय्याद कर गए
उस बे-हया सी शाम को इक राज़ कर गए
फिर यूँ हुआ, कि क्यूँ हुआ ये इश्क़" कह गए
हम तन्हां थे उस आस्तां पर तन्हां रह गए
-
G N Khan
(@naazdiary__)
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Joined 14 June 2020
24 FEB 2021 AT 6:32
20 FEB 2021 AT 17:58
"ये तेरी यादें जो मेरी शामें बे-दिला कर जाती हैं
कर यक़ी के मेरी रातें नम आँखों में गुज़र जाती हैं-
18 FEB 2021 AT 18:36
जो थी मुहब्बत तेरे नाम से
परवान चढ़ रही है
तू नहीं है तेरी याद
शब-ओ-रोज़ बढ़ रही है-
11 FEB 2021 AT 18:47
खुद को भुलाकर तुझमें शामिल हो जाऊँ मैं
तू जो कहे तो हँस कर सब गम सह जाऊँ मैं
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5 FEB 2021 AT 18:36
"ना देखा मुड़कर जानिव-ए-यारा इक बार उसने...
औ' कहता है कोशिशें हज़ार की मनाने की"-
14 JAN 2021 AT 18:18
ना लुप्त हो चुके स्वप्न का कोई अर्थ निकल पाता है
ना केवल सौन्दर्य से प्रेम परिपूर्ण हो पाता है...-
9 JAN 2021 AT 6:49
"हो के बे-परवाह हम थे कह गए परवाह नहीं
है यक़ी कर चाह इतनी बिन तेरे लम्हा नहीं"-
8 JAN 2021 AT 6:38
मन्ज़िल की मुकम्मल हर तलाश हो ये ज़रूरी तो नहीं
कुछ सफर अधूरे ही बेहद खूबसूरत लगते हैं-