सरकार और आर बी आई की रजामन्दी हो गयी है
क्या सोच के किया था ये सब और क्या हो गया अब
बढी बेरोजगारी व्यापारी की हालत मन्दी हो गयी है
सोचा अच्छे दिन आयें राजनीति इतनी गन्दी हो गयी है-
सच्चाई की आंच फिर से ठंडी हो गयी है
अच्छाई की मानो नोटबन्दी हो गयी है-
जब से नोट बंदी हो गई है.
सरकार की चाँदी हो गई है.
नगदी धंधे में मंदी हो गई है.
विपक्ष की जुगलबंदी हो गई है.
जनता पिसती आई है पहले से,
आगे भी एेसे ही पिसती रहेगी.
इस सरकार से पहले वाली ठीक थी.
एेसे ही सरकार को कोसती रहेगी .
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सबको लगाके लाइनों में उड़ गया तू तो आसमानों में,
बैंकों को ये पता नहीं कितना पैसा आया खजानों में।-
नोटबंदी!
हो या गुटबंदी!
हमारा क्या?
नफा-नुकसान से परे
रोज कमाने -खाने वाले हैं....
जो भी है अपनी मुट्ठी में,
कहांँ छिपाने वाले हैं....?
पाण्डेय सरिता
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ए टी एम में लाइनें ज़रा सी लम्बी हो गई
मेरे देश मे आज सुना है नोटबन्दी हो गई
हज़ार के नोट की गर्मी सारी ठंढी हो गई
मेरे देश मे आज सुना है नोटबन्दी हो गई
बैंको में देखो कैसी भीड़ की मारा मार है
पाँच सौ नोट हालत आज बड़ी लाचार है
हाईवे की हाल जैसे अब पगडंडी हो गई
मेरे देश मे आज सुना है नोटबन्दी हो गई-
| 8 नवंबर, रात 8 बजे |
1000₹ के नोट की तरह था, 'उसकी' जिंदगी में ये 'शायर'।
झटके में 'उसका' फैसला आया और मैं "उपयोग" से बाहर।-
|8 नवंबर, रात 8 बजे|
"विमुद्रिकरण" का असली फ़ायदा उन 'गरीब कुँवारो" को मिला जो नोट बदलने वाली पंक्ति में महज कुछ घंटे खड़े रहकर अपना SETTING कर लिए। उम्मीद है, बाकि बचे हुए कुँवारो के उज्जवल भविष्य के लिए भी आज कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे।
आखिर सरकार "गरीबो" के ही काम आनी चाहिए न।
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सियासी जेबों का ईमान
ज़रा और खोटा हो गया
जबसे 500 का नोट
100 से छोटा हो गया-