Yogesh Suman   (Yogiraj)
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Ideals Father
Joined 1 October 2018


Ideals Father
Joined 1 October 2018
8 NOV 2018 AT 17:00

सबको लगाके लाइनों में उड़ गया तू तो आसमानों में,
बैंकों को ये पता नहीं कितना पैसा आया खजानों में।

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5 JUN 2021 AT 13:57

साँसे हो रही हैं कम, आओ जंगल बचाएं हम।
आओ मिलकर आवाज़ उठाएं, बक्सवाहा के जंगल को बचाएं।।

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4 MAY 2021 AT 15:08

किसी के हिस्से में बंगाल तो,
किसी के हिस्से में असम आया,
हम तो जनता हैं साहब,
हमारे हिस्से में श्मशान आया ।।

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15 AUG 2020 AT 15:09

Justice, Liberty, Equality & Fraternity

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26 NOV 2019 AT 19:58

हमारी शान है,
यही हमारा मान है, वतन का ये सम्मान है,
चले वतन इसी से है, यही हमारा अभिमान है।

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27 OCT 2019 AT 12:51

a lamp that gives as much light in the palace of the king as in the hut of a poor.

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20 OCT 2019 AT 16:35

हॉस्टल की मोटी-कच्ची रोटियां और ये नीरश सा खाना,
माँ तेरे हाथ के खाने का कभी मै था दीवाना,
दिन में एकबार खाकर अब तो भूख मर जाती है,
माँ तू नहीं अब ये भूख मुझे खाना खिलाती है।
जो खाने में करते थे हजार नखरे कभी,
वो यहाँ आज कुछ भी खा जाते हैं,
माँ तेरे हाथ के खाने को यहाँ तरस जाते हैं।
घर पहुँचते ही कितना भी खा लूँ,
फिर भी तू यही कहती है कुछ खाता क्यों नहीं है,
दिनभर बस यही रटती है तू मुटाता क्यों नहीं है ?।।

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29 JUL 2019 AT 21:57

क्या खूब खेलती हो तुम भी मेरी आँखों से
कि नज़रें मिलाती भी हो और फिर छुपाती भी हो।

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17 JUN 2019 AT 8:38

खुशियां थी,
आपके बिन सब वीरान।

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17 JUN 2019 AT 8:31

हैं तो खुशियां है ,
पिता`बिन जीवन बेकार'।

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