आप जब याद ही आने लगे सुबह से शाम।
लबों की खामोशी जुबां पर आपका नाम।
ना निगाहों को चैन ना अब दिल को आराम।
इतनी इबादत नज़रें इनायत तो मिले ईनाम।-
मुझे इस बात का गुरूर है
तू मेरी खुशियों का नूर है
तूने छुआ है मेरी रूह को
क्या फर्क पड़ता तू दूर है-
बहुत मुश्किल से ही हिम्मत जुटाई थी।
साँसे भी मेरी दिल तक उतर आई थी।।
जब किया इज़हारे बयां जज्बातों को।
कायनात तेरे कदमो में उतर आई थी।।-
सफर छोटा ही सही था मगर यादगार रहेगा।
जिंदगी भर दिल आपका ही तलबगार रहेगा।
आपने निभाई बहुत शिद्दत से दोस्ती अपनी।
खुद से ज़्यादा आपका,दिल शुक्रगुजार रहेगा।-
हमाम में सब नंगे हैं जी
ये नेता बड़े बेढंगे हैं जी
विकास की बात पर जी
कहते जी सब चंगे हैं जी
सत्ता इनको प्यारी है जी
टिकट की मारामारी है जी
ना मिले टिकट इन्हें तो जी
पार्टी बदलना लाचारी है जी-
एक जज्बात और एक कशिश
जिसे हम कभी कह नही पाए
तेरी ही लत तेरा ही नशा हमको
जिससे दूर कभी रह नही पाए
तेरी चाहत तेरी ही इबादत सिर्फ
बिछड़ना तेरा सह नही पाए
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जो लोग शीघ्र ही आकर्षित हों
भाव हृदय शीघ्र ही प्रदर्शित हों
उनके मन शीघ्र बहुत हर्षित हों
शीघ्र संबंध विछेदन दर्शित हों-
यूँ जिंदगी में बहुत मक़सद थे
फिर भी हम अपनी हद में थे
उस पार मंज़िल थी हमारी भी
कश्ती और लहरों की जद में थे-
सरकार और आर बी आई की रजामन्दी हो गयी है
क्या सोच के किया था ये सब और क्या हो गया अब
बढी बेरोजगारी व्यापारी की हालत मन्दी हो गयी है
सोचा अच्छे दिन आयें राजनीति इतनी गन्दी हो गयी है-