जो हर टूटा दिल शायर होता
तो
हर कोई शायर होता-
Professionally Unemployed👤
Part time Writter✒️😀
Part ti... read more
लहरे आती हैं और टकरा कर लौट जाती हैं
वो एक मेड़ खेत की कितने शहर बचाती है-
इस दिल के भी अजीब रस्मों रिवाज़ होता है
एक सूखे हुए गुलाब ने इश्क को ताज़ा रखा है-
तुम्हे लिखना बहुत था पर हर्फ न मिले
तुम्हे कहना बहुत था पर लब सिल गए
तुम्हारा होना एक धुंधला ख्वाब है जैसे
तुम्हे सुनना बहुत था तुम खामोश रह गए
किस्से लिखे हैं तुम्हारे जिक्र हैं हमने कई
तुम्हे बताना बहुत था, शुरू कहां से करें
तुम्हारी पायजेब और मेरी धड़कने
अब जैसे एक ही सुर में बजती हैं
ये राज़ ज़ुबॉ तक लाना बहुत था
पर यूं तुमसे कह न सकें
-
जो हमारे घर की थालियों में रोटियां डालता है
वो अपने घर के बच्चों को पेट काट के पालता है
ज़रा सी धूप बढ़ जाए तो तुम्हे तपिश लगती है
सर पर सूरज लिए जलते पांव से फसलें काटता है
जब तुम तेज़ बारिश में चाय की चुस्कियां लेते हो
वो तबाह खेतों को अपनी नम आंखों से ताकता है
और सबको अपने हिस्से की खुशियों से मतलब है
वो अपने हिस्से का हक भी सर-ए-बाजार बांटता है-
जो हटाकर निगाहों से पर्दा वो देख लेते हैं मंजर
धड़क उठता है मौसम हवाओं में सांसे आ जाती हैं
-
यूं ही नहीं बंजर से हो चले हैं ख्वाब अब
इन आंखों की तपिश ने कई समुंदर सुखाए हैं-
पथराई आंखो से नींद के इंतजार में
कई रातें गुज़ारी हैं हमने इस खुमार में-
साजिशें नाकाफी रहीं तुम्हें निहारने की
ये सादगी दो आंखों में समाई ही नही-