उधर से चांँद तुम देखो...
इधर से चांँद हम देखें...
फिर हम दोनों ऐसे मिले...
कि दो दिलों की ईद हो जाए...-
सबके अंदर ये जो आग धधक रही है वो तो देखो
उनके आने से जो आती है मुस्कान चेहरे पे
लोगो को लगने दो तुम आशुओं को बहा कर तो देखो
देर जागने से जो ज़ुल्फ़-ए-सियह है वो तो देखो
उसके जाने से जाना अगर अंधेरा है तो
कभी जिगर से होने वाली अगली सुबह को तो देखो
हसीं इश्क़ का आग़ाज़ कर रहे उस आजिज़ को तो देखो
बिजली है राहों में संभल के चल रहे नंगे पाव
सब समझते है की नादान का हाल बुरा है फिर भी आजमा कर तो देखो
हाथ जोड़े खड़ा है माफ़ी के खातिर उस मसरूर को तो देखो
उनके मन में कोई और ही तड़प किसी के लिए
झलकता है अहंकार तो जरा पीछे कदम बढ़ा कर तो देखो
दिल की चोट बहुत दर्द देती है चोटिल होकर तो देखो
सबके दरवाजे पे पत्थर मार के देखते होंगे
वो अगर सादगी तो मैं खुला रहूंगा नाज़ से मार कर तो देखो-
नायाब हूँ तुम पा कर देखो
यकीन नहीं तो आकर देखो
भगा दूँगा तेरे सारे ग़मों को
मेरे साथ गुनगुनाकर देखो
खूबसूरत हो जाएगी ज़िंदगी
इश्क का रंग लगाकर देखो
सांसे रुक जाएंगी तुम्हारी
लब से लब मिलाकर देखो
चलो झूठा ही सही एक बार
पलकों पर बिठाकर देखो
भूल नहीं पाओगे कपिल को
एक बार आजमाकर देखो-
वो कहता था ,,,,
मेरे अच्छे की दुआ करता है !!
देखो तो ज़रा ;;
सबसे बुरा उसी ने किया मेरे साथ ।।-
लोग यू ही गालियों से दिल पर खंजर चलाते रहें।
सच्चाई का सामना किया नही ,वो हवा में बात करते रहे।
जो देखा वो कुछ और था,वो उसी को सच मान के झगड़ते रहे।
जब सच्चाई का पता चला,तब सिर वो अपना रगड़ते रहे।
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Jaha kahi bhi dekho nafratein si feli hai,
Hum toh pyar ke mare hai,
Yeh sun kar woh hume matlabi sa kehti hai.....-
Ek bar kehke toh dekho
Ke tumhe hum pasand nahi hai
Nazzre milana toh door
Tumhare baare me sochna tak chhod denge-
Hothon par lafzo ka samandar hai
Par seene me dafan hai to bas khamoshi-
देखो ना ये कैसा दौर आया है !
हम सब कैद है घरो में और
पंछियो ने खुला आसमान पाया है !!
देखो ना कितने खुश हैं ये
लगता है बहुत दिनो बाद इन्होने
आसमान को छूने का अरमाँ जगाया हैं!
ज़रा सोचो ना क्यो कैद हम घरो में
लगता हैं शायद हमने अपने
कर्मो का फल पाया है!!
देखो ना ये कैसा दौर आया है !...
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