प्रेम को परिभाषित करना उतना ही कठिन है
जितना कि किसी संख्या के आगे
अनंत चिह्न लग जाने के बाद
उस अनंत वाली संख्या को बता पाना,
क्योंकि प्रेम का कोई अंत या कोई छोर नहीं है,
प्रेम निष्काम समर्पण, शाश्र्वत और "अनंत" है.....!
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और यही "प्रेम की पराकाष्ठा" है.....💞
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