दरगाह में बंधे धागे सा रिश्ता था हमारा,
एक हल्की गाँठ के चलते आख़िर खुलना ही था।
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𝑌𝑒ℎ 𝐻𝑎𝑗𝑖 𝐴𝑙𝑖 𝐵𝑎𝑏𝑎 𝐻𝑎𝑖
𝑌𝑎ℎ𝑎𝑛 𝑆𝑎𝑏𝑘𝑖 𝑀𝑢𝑟𝑎𝑎𝑑 𝑃𝑢𝑟𝑖 𝐻𝑜𝑡𝑖 ℎ𝑎𝑖
𝐾ℎ𝑎𝑎𝑙𝑖 𝐻𝑎𝑎𝑡ℎ 𝐹𝑎𝑖𝑙𝑎𝑑𝑜
𝑊𝑜ℎ 𝐵𝑎𝑛𝑑 𝐿𝑎𝑏𝑜 𝐾𝑖 𝐵𝑜𝑙𝑖 𝐵ℎ𝑖 𝑆𝑢𝑛𝑛 𝐿𝑒𝑡𝑒 𝐻𝑎𝑖 ❣️-
मेरे शहर से बड़ी नफरत है तुझे
क्या पता काम तुझे मेरे शहर में ही मिले
मैं काफ़िर हूँ तु अच्छे से जानता है
ख़ुदा करे तु मुझे दरगाह में ही मिले ।-
वो दरगाह में चादरें कई चढ़ाता है
वो, वो जिसका वालिद आज सर्द से मरा है.....-
आज फिर एक मन्नत का धागा बांधना है तुझे पाने के लिए..
सुन, कोई दरगाह छूट गयी हो तो बताना.....-
ऐ माँ तू ही बता मैं क्या क्या तेरे नाम लिख दूँ,
तेरी गोद को ज़मीन, आँचल को आसमान लिख दूँ,
सब ढूंढते हैं खुदा को मंदिर, मस्जिद, दरगाहों में,
मैं तुझमें खुदा ढूँढू, या तुझे ही भगवान लिख दूँ।
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Ibbadat se na ho koi faida
To hum Rab ko kossa nhi krte...
Aur apni mannat puri krne ke lye
Hum Dargaah bdla nhi krte..!!-
जिस्म की धूल साफ करने में कुछ ऐसे उलझा मैं,
कि रूह मैली ही ले के,
दरगाह में दुआ करता रहा।-