हमें भी याद कर लिया गया है शायद
अंदाज़े सभी के सही नहीं होते।-
फ़कत मेरे ही हिस्से में
ख़ुदको अज़ीज़ पाया है 🌸
हर अर्थ के विराम से लगते हो
सिमट ना पाए जो कहीं
तुम गीता के सार से लगते हो-
ना साहिल पे रोया ना शफ़क़ पे रोना आया
भीतर के इक समंदर को बस समंदर में रोना आया।-