Kahaan se mil jaati wo beinteha mohabbat ki roshni,
Us jhaan me to andheri raaten kuch aur ghni thi......— % &-
कुछ बद्दुआएं सम्भाल रखीं हैं हमने,
तुम्हें दे दें अगर
तो क्या जर जाओगे?
तेरी झोली में डाल दूं अगर,
ये बेइंतहा नफरत,
तुम तो खून के आंसूओं से भर जाओगे।
इश्क़ होता हमसे तो हिफाजत करते,
अरे तुम कहां,
इश्क़ की हद से गुज़र जाओगे!
जो सहा है हमने इतने अर्से से,
उसके एक पल में ही तुम तो,
अरे मर जाओगे।— % &-
We would probably never meet in life,
but would meet in heaven rather— % &-
बेगैरत बन कर जो घूमते रहे,
ये गलियां भी हमसे अनजान होने लगी,
क्या बेखौफ थी वो उसकी नज़रें,
जब देखी जान तो बेजान होने लगीं,
कुछ गहरी तड़प ले बैठें हैं इस दिल में,
वो सकूं की रातें अब मेहमान होने लगीं,
ज़माना कहने लगा है,अब तो आशिक गहरे,
कुछ तो बदला है तभी ये बयान होने लगीं,
गैरों की भीड़ में जाकर बैठ जाते हैं हम,
जबसे पहचान हमारी आसान हो लगीं।
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वक़्त को इतना इलम कहां कि,
वो हमारा नासूर बन जाए,
हम तो वो मदीरा हैं जनाब,
जो वक़्त को भी मैहख़ाने में ले आऐ।— % &-
हमारी गैरमौजूदगी में ज़रा,
पूछिए हमारा किरदार,
यहां अपने ही हमें,
गुनहगार बताएंगे।
कोई तोड़ गया दिल,
तो किसी का हमने तोड़ा,
कोई संभाल लेता तो,
उसे भी यह बेजार बताएंगे।
ज़रा ग़ौर करना,
किसी की ख्वाहिशों पर,
बस यही हैं जो उनका,
किरदार बताएंगे।
बेवजह ही रिश्ते,
इस कदर जोड़े हमने,
क्या पता था कि,
यही हमें बाज़ार बताएंगे।— % &-
बहता सावन मेरे आंसू कैसे दिखा देता?
खत डाकिए के पास है तो सही जनाब,
मगर जो है बेनाम,
उसका पता वो कैसे बता देता?
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आपकी लेखनी,
खुद में ही,
कुछ इस तरह खास है,
ज़मीं पे रह कर भी जैसे,
आसमां का एहसास है।
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बेनाम,
आपका भी कोई नाम होगा,
हम हैं,
हर कोई कहां अनजान होगा,
बेनाम,
जब आपका नाम होगा,
न हम,
और न फिर कोई और अनजान होगा।-
उमराव जान
वक़्त साथ था हैवान के,
उलझ गई वो जाल से गुमनाम में,
खिलखिलाती हंसी ,
पहुंच गई जाकर खुशियों के श्मशान में,
क्या जाने वो जिस्म की बातें,
रूह तो अभी थी उसकी मासूमियत के पैगाम पे,
घर छूटा उसका, बड़ी हुई,
पर कहां भूली उन्हें,
जिनको प्यारी थी उनकी जान से,
फिर एक दिन,
दिल के महल में एक राजकुमार आया,
मोहब्बत जाग उठी मोहब्बत गुमनाम में,
वो ऊंचे ख्वाब,वो ऊंची शिद्दत,
फिर छीन ली एक हैवान ने,
बेपर्दा न हुई जो कभी मोहब्बत के बिना,
आज दाग लगा दिया उसके गिरेबान में,
ठुकरा दिया दिल के राजकुमार ने,
अक्श बह गए मोहब्बत के कब्रिस्तान में,
न अपनाया उसके अपनो ने,
पर छीनने वाले थे कई उस जहान में,
गुनाह किस का, ज़िन्दगी किसकी बिखरी,
वक़्त कभी न ढ़ाले,
किसी जान को,
उमराव जान में।
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