QUOTES ON #DAHEJ

#dahej quotes

Trending | Latest
22 MAR 2020 AT 21:54

FULL PIECE IN THE CAPTION

-


7 SEP 2019 AT 21:22

रहमत,नेमत,बरकत है घर की बेटियां,
और मैं जहेज़ में तुझ को क्या क्या दूं !!


رحمت,نعمت,برکت ہے گھر کی بیٹیاں..
اور میں جہیز میں تجھ کو کیا کیا دوں !!

-


28 JUN 2021 AT 20:49

मैं कैसे कहूँ इश्क़ में बात जिस्मों की होती नहीं,,
बात रूह की होती तो तुलना चाँद से होती नहीं,,

ना सुनती वो ताने किसी से कम खूबसूरत होने का,,
अपनी सहलियों के बीच में वो यूं सहमी होती नहीं,,

ना चलता कारोबार फिर ये मेकअप के रहीशो का,,
कोई माँ को फिर साँवली बेटी की चिंता होती नहीं,,

ना होती फ़िक्र किसी भी बाप को बेटी के रिश्ते की,,
कोई बेटी रिश्ते के इनकार से छिपछिप के रोती नहीं,,

ना होता बोझ दहेज़ का किसी भी पिता के कांधे पर ,,
किसी भी माँ बाप की आँखे फिर रात भर रोती नहीं,,

-


12 AUG 2020 AT 18:49

zindagi कीमती है ,या dahej ??
क्या है ना ,
आज एक बाप ने अपनी zindagi सौंप दी, और लोग पूछ रहे थे
"dahej me kya hai"

-


16 JUL 2021 AT 1:35

मेरे आँखों के सामने ही मेरा जनाजा उठाया जा रहा था,,

फर्क ये था दहेज़ देकर अर्थी को डोली बुलाया जा रहा था,,

-


12 DEC 2021 AT 11:42

एक बच्ची ने अपने पापा से पूछ ही लिया
कि पापा आप मुझे दहेज़ में क्या क्या देंगे?
दहेज़ भी दे दिया अपनी बिटिया भी दे दी ये कैसा रिवाज़ है?
अपने बेटे की बोली लगा कर उसे बेच देते है ये कैसा समाज है?

-


13 MAR 2019 AT 15:29

आज पहली बार किसी सामाजिक मुद्दे पर मैंने कोई रचना लिखी है उम्मीद है आप सब को पसंद आएगी...

😭शीर्षक😭
दहेज एक अभिशाप...
मरणोपरांत मेरा एक लड़की से संवाद...

Plzzzz read this full poem in caption...
And drop your feedback in comment box...

-


6 JUN 2021 AT 8:43

माँ-बाप का घर बिका तो बेटी का घर बसा...!!

कितना अजीब फ़लसफ़ा है ”रसम-ए-दहेज़’ भी...!!

-


7 JUL 2021 AT 16:57

.....

-


16 AUG 2020 AT 11:23

प्रेम के बंधन में बंधी थी,
एक नई दुनिया बसाने अाई थी,
परन्तु पैसों की लालसा ने ऐसा जकड़ा,
कि चार दिन भी चैन से ना जी पाई थी।।।

कभी हाथ उठा, कभी खाना न मिला,
चंद पैसों की लालसा ने,
इस प्रेम के बंधन को ताक पर रख दिया।।

मां को सब बातें बताए,
तो समाज के डर से वह चुप हो जाएं,
"बस कुछ ही पल और मेरी बच्ची",
यह बोल, सोने को कहा जाए।।

पिता के साथ पैसों की तंगी देख,
उनसे कुछ कह न पाए।।
छोटी से तो कुछ बोल भी न सकती,
यह सोच कि होगा उसका भी विवाह,
कहीं उसका इन रिश्तों से ही भरोसा न उठ जाए।।

सहती रहती हर एक जुल्म,
परन्तु वो पति के घर का आंगन न छोड़ती,
ये सोच, कि कहीं ये समाज,
उसके माता पिता की परवरिश पर ही उंगली ना उठाए,
है अभी छोटी बहन भी घर में,
कहीं उसकी ज़िन्दगी पर भी असर न पड़ जाए।।।

भोर होते ही उठ कर,
फिर वह ज़ुल्म सह रात को सो जाए।।

-