Chal To Rahe hai Magar Koi , Dagar Nahi hai
Ab To Duaa'o Mein Bhi itna , Asar Nahi hai
Ab isse Bada Dukh Kya hoga "Adnan"??
Ham - Safar Pe To Hai , Humsafar Nahi hai...-
हर कदम हर डगर
आपसी मंथन
हर लहर हर शहर
चल रही जिंदगी मद्धम
आप हम हर दम जी रहे संग-संग
उड रही आसमान मे बिन रूके कोई पतंग
चल रही है अपनी ही गति मे
हवाओं की संगती मे
छेडती हर दम नया कोई प्रसंग
खिलखिलाती शाम मे
रात के चाँद मे
लिए सभी जाम है
अपने अपने काम है
रास्तों को ढूंढता
हर मुसाफिर आँख मूंद ऊँघता
बिन इच्छ सूँघता
बेस्वाद घुंठता
कोई तो इंतजार मे है किसी बात मे
कब खुलेगी रात ये
सोचता दिन रात है-
चले कुछ दूर फिर आधे डगर से लौट आए,
कि काफ़िर बन के हम कैद-ए-नज़र से लौट आए!
गए थे आरज़ू में हम निगाह-ए-नाज़ की...
ये राज़-ए-दिल लिए उनके शहर से लौट आए!!-
जो भी गया इस रास्ते से, वो लौट के नहीं आया है
या तो खुद को खोया है, या खुदा को पाया है-
जो आसान हो डगर
और हम चल रहे निडर
तो मंजिल छोटा सा लगता है
कुछ छुटा सा लगता है।-
KuCh Nhi Se SabKuCh TaK
Ka SAFAR
Raston par dhikhta hai
Unse jude modo ka AsaR..
nhi Chodana hai Ab Koi KasaR
Chota RasTa Aur Boht
MusKil Hai DaGaR........-
Uljhi hui zindigi ki bas yahi kahani h
Kuch pahela hi shayar tha
kuch waqt ki meharbani h
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2122 1212 22
याद आये वो शाम ढलते ही,
टूटा हर ख़्वाब आँख मलते ही।
शम्स भी पड़ गया ज़रा फीका,
यादों का इक चराग़ जलते ही।
पास मंज़िल मेरे चली आई,
हौसलों की डगर पे चलते ही।
राह क्यों उसने है बदल डाली,
साथ मेरे सफ़र में चलते ही।
दुन्या होगी अलाहिदा "मीना",
घर से कुछ दूर बस निकलते ही।-
................ जिंदगी................
कठिन है डगर
पनघट कहीं नज़र नहीं आता
हमराही होता साथ तो
रास्ता कट ही जाता
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