हर दिन की तरह इस दिन का भी जश्न मनाया जाए
जो हो रहा है इस पल में उसी का जश्न मनाया जाए।
खो जाती है कई लम्हें मंजिल के इस लंबे सफर में
वो जब भी याद आए तभी उनका जश्न मनाया जाए।
वो जिसकी फिक्र है छुपा है भविष्य की गहराई में
डरना नहीं बल्कि उसके होने का जश्न मनाया जाए।
हां! काली रात भी और काली हो जाएगी एक दिन
अभी सवेरा है तो इस सवेरे का जश्न मनाया जाए।
कभी शायरी पढ़ कर कभी गजलों को सुन कर
इस जिंदगी का गुनगुना कर जश्न मनाया जाए।।
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