°• MICROBIAL CROWN BANE •°
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During an utmost peaks of pandemic,
Facing several episodes of panic.
Social detaching is a source of survival,
Never break through making it a betrayal.
For an uninvited guest can enter you unnoticed flying;
Depositing deadly debris leaving the body wobbly ailing.
So carefully adapting rubrics of self quarantine;
Would be an amazing way for one's own valentine.
Breaching up the transmission chain stronger;
Ashtonishing mutant virus to never find a shelter.-
एक कुर्सी की लड़ाई में,
ना जाने कितनी अर्थियां उठेगी,
जब खत्म होगा खेल चुनाव का
और मुर्दा घर में तुम ,
एक संख्या बनकर रह जाओगे,
तब ये नेता तुम्हें दोषी ठहरा देंगे (१)
अपनी प्रतिभा को बढ़ाने में,
ना जाने कितनी भीड़ बढ़ेगी,
जब खत्म होगा खेल चुनाव का
और अस्पताल में तुम,
एक बिस्तर के लिए तड़पोगे,
तब ये नेता तुम्हें दोषी ठहरा देंगे (२)
सत्ता की इस दौड़ में,
ना जाने कितने परिवार टूटेंगे,
जब खत्म होगा खेल चुनाव का
और वजह जब तुम
इन जानहानि की पूछोगे,
तब ये नेता तुम्हें दोषी ठहरा देंगे (३)
अभी भी वक्त है संभल जाओ मित्रो,
जीत जाएगा कुर्सी कोई,
जीत जाएगा राज्य कोई,
कौन लेगा ज़िम्मेदारी उस जनता की
हार गए जो सांसे अपनी? (४)-
वो पैदल चलते जा रहा है।
वो अपने गांव जा रहा है।
भूख प्यास उसके संगी हैं।
आज सियासत नंगी है।
उसका गांव में एक मकान है।
ये कैसा हिंदुस्तान है?
ये कैसा हिंदुस्तान है?
श्रमिक वर्ग का ठप्पा लेकर,
सबको अपने संग इकट्ठा लेकर।
उसके नीचे धरती, उपर आसमान है
ये कैसा हिंदुस्तान है?
ये कैसा हिंदुस्तान है?
Continued in the caption👇-
अपनों व अपने देश के लिए,
चलती फिरती मौत ना बने,
जब तक अच्छा माहौल ना बने,
तब तक घर पर ही रहे।
#जनता_कर्फ्यू-
In the end,
all it took was a tiny virus
to keep us prisoners,
our dreams and hopes,
scared and scarred for life.
Not money, not power.
A tiny virus, that cannot even
live on its own,
showed us how brilliantly fragile
all our lives were.-
सब कुछ अब धिरे-धिरे "ख़त्म होता जा रहा है"।।
मौत का आंकड़ा अब हर रोज़" बढ़ता जा रहा हैं"।।
इन "सांसों का सफ़र" कब तक साथ होगा अपनों के
इस बात का डर "अब हर इंसान" को सता रहा है।।
लड़ते रह गए हम ज़िन्दगी भर "हिन्दू और मुस्लिम" करके।।
कोरोना से पूछो.."किस धर्म को ये पहचान रहा" है?
मौत की खबर अब रोज़ आ रहा हैं।
हे भगवान तेरी बनाई दुनिया में ये कैसा आतंक हो रहा हैं ??
सबका कल्याण करते हों तुम आसमान से
फ़िर बचा लो धरती को अपने चमत्कार से।।
🙏🙏🙏🙏
Neha Gupta
-
महामारी का भविष्य सामने है
दिन बदलता है
दिन के साथ मास्क भी बदलता है
सैनिटाइजर रोज़ नहीं बदलता
कम ज़रूर होता है
धैर्य की तरह
मानव व्यस्त है
मास्क बदलने में
सैनिटाइजर छिड़कने में,
उसकी आधी ऊर्जा इसी में व्यय हो रही है
दिन इसी व्यस्तता से कट रहे है
मास्क का बदलना महामारी का अटल सत्य है
सैनिटाइजर का कम होना
और एक दिन ख़त्म हो जाना
महामारी का भविष्य-