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Chand sa chup gya h jo,
Jane kidhar gya hai wo,
Tam🌑 rhne do ab yha
jakr tum bahr dekho,
Jane kb ye sham dhalegi,
jane kab niklega wo,
Chand sa chup gya h jo...🌛
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बरसे कभी बेइन्तहा तो कभी चुप सी हैं,
लगता है ये बारिश भी कुछ-कुछ तुम सी हैं||-
मुनासिब नहीं हैं ये तेरा चुप रेहना
मैं झग़डे की बात सोच के आया हूँ-
हर कोई चाहता है जिन्दगी का हर लम्हा खुलके जीना,
लेकिन जिन्दगी ये मौका हर किसीको नहीं दिया करती...-
सुनो.....
छुपा लो मुझे अपनी सांसों के दरमियान में
गर कोई पूछे तो कह देना जिंदगी है मेरी-
कुछ अजीब से हालात
करे किससे अब बात
अपने ही घर में सुरक्षित नहीं
क्या झूठ के इतने लंबे हाथ
हटा दो चेहरों से अब नकाब
तब ही होगा हर मकसद कामयाब
तुम फरेब का खेल खेल सकते हो बेहिसाब
पर हम भी न हारेंगे सच है हमारे साथ
ये देश हमारा था हमारा ही रहेगा
अब देश का हर हिन्दू ये कहेगा
अब तो खोलो न यारों आंख
कब तक न करोगे सच की फरियाद
बात अब आगे निकल रही है
हर जगह बस मनमानी चल रही है
तोड़ दो चुप्पी दो सच का साथ
ताकत अपनी दिखा दो
अब तो गद्दी भी हिला दो
चुप रहोगे तो कमजोर समझ लेंगे
जब चाहे तुम्हारा अभिमान तोड़ देंगे
नीचता की हदें वो पार कर चुके
अब हम क्यों बेवजह झुके
दिखा दो अब एकता की शक्ति
यही है देश की सच्ची भक्ति
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बेवक्त, बेवजह ज़ाया ना कीजिए अल्फाज़ अपने,
गर वो रूठ गए तो ताउम्र मलाल रहेगा।-