Sab Uski Chunri Mein Sajne Ke The Khwaab Liye Baithe.
Haaye Ruman, Uski Chunri Ka Muqaddas Daagh Hi Ban Baithe.-
जो इस क़दर रोशन है चुनर ,तो फिर बज़्म क्या होगी
बेहतर है चाँद जाए ना वहाँ, जान से गुज़रने को ।-
यहाँ आप ये रज्म चुनरी को आपस में क्या लड़ाए बैठे हैं
अरे हम तो बीवी के इशारे में अपनों का रक्त बहाए बैठे हैं-
गिरे बुज़ुर्ग को उठाने भरे बाजार में कोई नहीं आया,
गोरी का रुमाल क्या गिरा पूरा बाजार दौड़ आया…-
लड़की के सर पर चुनरी भले ही सस्ती ही क्यों ना हो मगर ऐसी लड़कियां इज्जत बहुत महंगी कमा लेती है
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जीन्स नहीं थी मेरे पास
तो तूने लाकर थाम दी।
तोहफ़ा समझ ले रखी मैने ,
पर तुझको जीवनसाथी मान ली।
अनकहे उन किस्सों को जो
आज टटोला जाए तो ,
बातें लगती भले पुरानी
नयी सी रंगत डाल दी।
जीने की कुछ उम्मीदों ने
फ़िर से बाज़ी मार ली।
और फ़िर से उस जीन्स को रखके मैंने ,
वक़्त की और नज़र डाल ली।
बचपन का वो ' अनकहा ' किस्सा-
कैसे ना ऐतबार करूं
उस पागल के प्यार पर,
तोहफ़े में उसने मुझे
अपनी 'माँ' की चुनरी दी है।-
तेरी चुनरी को छू लूँ , क्षण भर को जी लू
यातनाएं दी जो जग ने,उन यातनाओ को भूलूँ,
कहीं पर ठहर जाऊ , कुछ पल यह में सोचूँ ,
चला जिस डगर पर, गंतव्य को अब मैं ढूँढू
भावों में उलझा , उलझन में बिखरा
बिखरीं कुछ यादों में , खुद को समेटू
वीराना सफर है , मगर अकेला कहां हूं
शब्दों के भंवर में , बहता चला हूं
बस यह क्षण जो रुक जाए ,सफर खत्म हो जाए
तेरी चुनरी को छू लूं , छड़ भर को जी लूँ
यातनाएं दी जो जग ने,उन यातनाओ को भूलूँ।
Charu joshi-
यूं तो लिवास बहुत होते हैं हुजूर....
पर ये जो इश्क की चुनरी होती है इसका कोई जवाब नहीं..।।-
(2)
*मुहब्ब्त की चुनर*
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मर कर ये आँखें रह जाये खुली,
वादे वफ़ा में, शिद्द्त का इंतेज़ार दे।
आहट दे जाए दस्तक, तेरे आने की,
हवाओं की अदा में इश्तिहार दे।
रूह से रूह का मिलन होता रहे,
हाथों में हाथ रख, ऐसा ऐतबार दे।
मुहब्ब्त की चुनर, कफ़न बन जाये,
इश्क़ की आग़ोश में, इतना खुमार दे।
इश्क़ की आग़ोश में, इतना खुमार दे।-