हां थोड़ा सा टूट चुकी हूं में ,
पर ठीक हूं में।
थोड़ा सा बिखर सी गई हूं ,
लेकिन; ठीक हूं में।
हां थोड़ा सा धीरे धीरे संभलने लगी हूं ,
पर ठीक हूं में।
उम्मीदों और त्याग ने थोड़ा सा झुका दिया है ,
लेकिन कोशिश जारी है उठने की।
थोड़ा बहुत अब भी कुछ बचा है अंदर
उसे फिर से जीने की कोशिश जारी है।
लेकिन फिर भी ठीक हूं में।।-
तुम्हारी हर खता पर भी वारी जाऊं में ...
जैसे प्यार पर वारती हूं ।
तुम्हारी कोशिशों में भी अगर
कामियाबी हांसिल ना कर पाऊं ...
तो ऐसी ज़िंदगी को में नकारती हूं ।।-
जो तुम्हारे प्यार से सजी है।
उसमें गुलदस्तों की जगह ;
तुम्हारे नाम की सजावट है।
इश्क़ चाहे मेरा इक तरफा हो ...
पर परवाह हमारी दो तरफा है।
इसी कविता के लफ़्ज़ों को
मोतीयों की माला बनाकर
शब्दों में मैंने पिरोया है।।
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Alone I can say ...
but together we can talk !!!
Alone I can smile ...
but together we can laugh !!!
Alone I can enjoy ...
but together we can celebrate ...!!!
❤️(AnSh)❤️
❤️
❤️
❤️-
ना जाने कितने ही
सवाल लेकर आया था
अपने साथ ...
जवाब की राहों में बस
कांटें ही नसीब हुए
तन्हाइयों के ..!!!-
अधुरप खलने लगी है।
नमी बनके झलकी है आज
आंखों में ,
वो आदत ज़हनसीब है।।-
हमारा मिलना यूं खामखां तो ना था ।
कोई वज़ह तो रही होगी ।।
तुम चले जो गए हो अब यूं ज़िंदगी से मूंह मोड़ कर ,
ख़ुदा की कोई रज़ा तो रही होगी ..!!!-
Or Us Waqt Meri Aankhein Kamjorr Bhi Ho Jayengi ...
Fir Bhi Tujhe Dekhne Par Mujhe Utna Hi Pyaar Aayega Jitna Ki Aaj Aata Hai ...-
तुम भूल गए हो बेशक मुझे !!!
मगर में तुम्हें आज तलक नहीं भूल पाई ...
तुम्हारी हर एक बात याद है मुझे
और याद है तुम्हारी हर एक मुलाक़ात ...
याद है तुम्हारा खिलखिलाकर मुस्कुराना मुझे
और याद है तुम्हारी वो मुस्कुराहट ...
तुम्हारी हर एक नज़र याद है मुझे
और याद है तुम्हारी आंखें ...
तुम्हारी बेपरवाह बोली याद है मुझे
और याद है तुम्हारे लफ़्ज़ ...
तुम्हारी नफ़रत भी याद है मुझे आज भी
और याद है तुम्हारी साज़िश भी ...
तुम भूल गए हो बेशक ...
मगर में कुछ भी नहीं भूली ..!!!-