बेवजह कोई नाराज़ हो जाए तो क्या कीजे,
दिल के दुश्मन को कितना भी मना लीजिए,
वो दोस्त होने से रहा....
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है,इस सफर में भीड़ तो बहुत होती है, लेकिन
फिरभी कभी ... read more
ज़ख्म ताज़ा है अभी
हरा है अभी,
के मरहम भी लगाओ,
तो जलने लगे,
ऐसा दुखता है अभी,
शायद भर तो जाएगा,
अगर किसी अपने न दिया होगा।
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ये जो तुम भूले बैठे हो हमें,
हमें भी भूल जाने की इजाज़त है क्या।
रहो बेख़बर हमसे यूँ ही, कोई बात नहीं
हमें भी यही अन्दाज़ अपनाने की इजाज़त है क्या।
अगर हम हो गए तुम जैसे ही,
तो बताओ सचमुच,
हमें फिर दूर जाने की इजाज़त है क्या।
और फिर लौटकर आएंगे नहीं,
चले जाते हैं जाने वाले,
वापस आने की इजाज़त है क्या।-
बात नहीं करते हो,लेकिन जब भी करते हो।
लाजवाब कर देते हो, मेरे पास उन बातों का कोई जवाब नहीं होता है। मेरी कहाँ कोई अपेक्षा रही कभी ? और जितनी है वो भी कहाँ पूरी हुई कभी। और शायद इनके पूरे होने की अपेक्षा भी नहीं है मुझे।
चाहे तुम इसे जो भी नाम दो, मुझे ये सब बेनाम ही अच्छा लगता है, बिल्कुल उस मासूम बच्चे की तरह जो अभी दुनिया में आया हो और जिसका अभी नामकरण भी न हुआ हो।
तो जब भी मैं जवाब न दे पाऊँ, मुझे वही मासूम और बेज़ुबान समझ लेना। देखना और सुनना हो तो मेरी कोशिशें देखना और सुनना, मेरे अल्फ़ाज़ नहीं। वो कभी कभी यूँ ही बेज़ुबान रहते हैं।-
न जाने क्या हुआ इस दिल को,
तेरे न होने का गिला भी नहीं करता।
समझ गया है शायद ये नादान भी,
यहाँ कोई किसी का नहीं हुआ करता।-
तेरी और मेरी अब कोई तकरार नहीं,
तेरी जीत सही और मेरी हार सही।
ज़िंदगी तुझे जीते हैं हम तेरी ही खुशी के लिए,
हमारी ख़ुशी को समझना तो तेरे बस की बात नहीं।-
Let me into your heart,
I still cannot forget,
The time we spent together
in the past.
Let me settle into your heart.
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क़तरे खून ए जिगर के
कुछ कम पड़ गए
रोशनाई में,
और उनकी ये
ख्वाहिश है कि
मैं हाल ए दिल लिखूँ!-
मुख़्तसर सी ज़िंदगी
मुख़्तसर से इस फ़साने में,
मेरा कुछ रहा नहीं,
एक बड़ा हिस्सा
तुमने अपने नाम जो कर लिया।-