Shaheda Parveen   (shaadin#शादिन✨)
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Joined 14 August 2019


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Joined 14 August 2019
22 APR AT 13:55

तुमने खेल समझा जो कुछ
हमारे बीच था,
और इस खेल के नियम भी
तुमने ही बनाए थे।
तुम्हें लगा तुम हार गए हो।
मैं भी हार चुकी थी,
हर प्रयास करके।
तो फिर जीता कौन?
शायद हमारे बीच का यह मौन।

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20 APR AT 16:34

चुराया तो नहीं है दिल तुम्हारा
मगर रख लिया है सहेजकर,
तुम्हारी अमानत समझकर
कि जब भी वापस लेने आओगे
इसे ऐसा ही पाओगे,
अमानत में ख़यानत हम नहीं करते।

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13 APR AT 9:27

अजनबी हो जाना फिर से अब मेरे बस नहीं है,
ख़ुद को समझा भी लूँ, लेकिन जो
धड़कता है जो तेरे नाम से,
उस दिल को समझाना मेरे बस में नहीं है।
तेरे पास आने के लिए तुझसे दूर जाना होगा,
लेकिन ये कर पाना अब मेरे बस में नहीं है।
बसे रहना इन आँखों में गोहरे ए अश्क़ की तरह,
तुझे भूल जाना अब मेरे बस में नहीं है।


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15 MAR AT 22:43

कितने राज़ छुपा रखे हैं तुमने ज़माने से,
मगर क्या छुप सकेगा, सब कुछ मुझसे छुपाने से।
तुम्हारी आँखों से पढ़ लेती हूँ, सारी कहानियां।
तुम्हारी ख़ामोशी, तुम्हारी सरगोशी,
पढ़ लेती हूँ वो सब कुछ जो अनकहा सा है।
मेरे हमराज़ मुझसे भी बहुत बातें छिपाते हो।
मगर अफ़सोस, इश्क़ छिपता तो नहीं है, छिपाने से।

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8 MAR AT 22:13

उसके दीदार की हसरत जानलेवा है,
उसका करम भी जानलेवा,
सितम भी जानलेवा है।

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18 FEB AT 12:23

अजीब सी कुछ तमन्नाएँ हैं दिल की...
बैठकर कर कागज़ की कश्ती में,
सैर-ए-दुनिया कर लूँ।
मचल जाऊँ फिर से मैं ...
हर ख़्वाहिश पर अपनी,
ख़ुद को फिर से
एक बच्चा सा कर लूँ।
रहूँ न अपने ही इख़्तियार में,
न सोचूँ न समझूँ , पुकार कर
अपने लबों से तेरा नाम,
ख़ुद को रुसवा कर लूँ।







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14 FEB AT 21:40

ज़िन्दगी गर साथ दे मेरा,
मेरे इख़्तेताम तक।
मेरे साथ चलना तुम यूँ ही,
ज़िन्दगी की शाम तक।

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8 FEB AT 20:50

एक बात कहूँ,
सोचा है कई बार, कुछ नहीं कहूँगी अब।
लेकिन ये मोह भी ना , ज़हर होता है।
अपना असर दिखाता ही है,
तो बस इतना ही कहना था कि...
उम्र गुज़र गई दूसरों का ख़याल करते करते,
अब थोड़ा ख़ुद को भी ख़ुश रखा करो।
अच्छा ऐसा करना , इस बर्थडे पर, नॉर्मल ड्रेस नहीं।
नया थ्री पीस सूट पहनना।
तुम पर ख़ूब जँचेगा !

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3 FEB AT 16:11

एक नदी है जो किनारे पर
सागर के रूकी है,
उसे नहीं मिलना है समन्दर में,
अपना वजूद सम्हाले रखना है।
लेकिन किसी भी पल,
समन्दर की एक लहर
उस तक जा पहुँचेगी
और उसे भी समन्दर कर देगी।

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27 JAN AT 18:34

चाहना और बस चाहना तुम्हें,
इससे ज्यादा इख़्तियार में ......और कुछ नहीं।
मिलना नहीं कुछ, हासिल नहीं कुछ,
पाना नहीं कुछ,
बस खोना ही खोना है प्यार में....और कुछ नहीं।
बेताब हैं समंदर आँखों से छलकने को,
दर्द उभरता है किनारे तोड़ देने को,
लेकिन उसे अपनी हद पता है,
रहना है उसे अपने दयार में,
......और कुछ नहीं।
खोना ही खोना है प्यार में,
...... और कुछ नहीं।

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