🙏🌺°°°जय श्री चित्रगुप्त महाराज°°°🌺🙏
चित्रगुप्त जी की है संतान,
कायस्थ है हमारी पहचान...
सदा ही हम पर कृपा बनाए रखना,
है चित्रगुप्त महाराज।@।
सृष्टि के प्रथम न्यायाधीश हो,
करते सब पर उपकार...
पाप-पुण्य का लेखा लिखते,
चित्रगुप्त महाराज।@।
आपकी आज्ञा का पालन करते हैं यमराज,
जीवन मृत्यु पाप-पुण्य का रखते हर पल ज्ञान।@।
-😊A@rti Nig@m😊
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पाप-पुण्य का लेख जिसके पास।
ब्रह्म-काया से हैं जो उत्पन्न।
कायस्थ कुल के हैं जो जन्मदात।
वो पर परमेश्वर....
श्री चित्रगुप्त।
समस्त कायस्थों को श्री चित्रगुप्त पूजा
की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
🙏-
हे चित्रगुप्त! हे चित्रगुप्त!
हे देव! तुम्हें सौ बार नमन।
पर पीड़ा को हरने वाले
हे ब्रह्मपुत्र! सौ बार नमन।
ब्रह्मा की काया से उत्पन्न
कर में थे कलम दवात लिए
कायस्थों के तुम जनक देव
हे न्यायाधीश! सौ बार नमन।
भक्तों के प्रतिपालक तुम हो
तुम ही, दुष्टों के संहारक
वीरों की तुम परिभाषा हो
हे न्यायमूर्ति! सौ बार नमन।
हे श्याम वर्ण कंचन काया
द्वादश पुत्रों के स्वामी तुम
तुम मनमोहक छवि के प्रतीक
हे देव! तुम्हें सौ बार नमन।
हे चित्रगुप्त! हे चित्रगुप्त!
हे देव! तुम्हें सौ बार नमन।
पर पीड़ा को हरने वाले
हे ब्रह्मपुत्र! सौ बार नमन।
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कभी मैं आँसू लिखता हूँ,कभी मुस्कान लिखता हूँ..
कभी मैं गद्दारी लिखता हूँ,कभी अहसान लिखता हूँ..
शब्द वंश की धुरी हूँ मैं,यह अपने बुजुर्गों से सीखा है..
मैं कलम के सहारे दास्तान-ए-हिंदुस्तान लिखता हूँ..।।
युद्ध मे चमकती झाँसी की मर्दानी तलवार लिखता हूँ..
कभी मेवाड़ भूमि से गूँजी सिंह सी दहाड़ लिखता हूँ..
सादर प्रणाम करती है कलम,ऐंसे महान बलिदानों को..
क्रूरता के विरुद्ध माँ पद्मावती का बलिदान लिखता हूँ..
मैं कलम के सहारे दास्तान-ए-हिंदुस्तान लिखता हूँ..।।
नौकरशाही की भेंट चढ़ा,हर इक इंसान लिखता हूँ..
भृष्टाचार जिसे निगल गया,हर एक ईमान लिखता हूँ..
चुप रहना भी चाहूँ कभी,तो मेरी कलम बोल उठती है..
क्रांति की नीली स्याही से,ये काला वर्तमान लिखता हूँ..
मैं कलम के सहारे दास्तान-ए-हिंदुस्तान लिखता हूँ..।।
कभी तुलसी कबीर लिखता हूँ,कभी कलाम लिखता हूँ..
श्रध्देय दिनकर और निराला की उँगली थाम लिखता हूँ..
अहंकारी ये सत्ताएँ भी,रोक न पाई इस कलम की धार..
मैं अपनी ही कलम से खुद अपना इम्तिहान लिखता हूँ..
मैं कलम के सहारे दास्तान-ए-हिंदुस्तान लिखता हूँ..।।
ललित श्रीवास्तव"शब्दवंशी"✍️
आप सभी को चित्र गुप्त पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं 💐-
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि,
देवताओं के लेखपाल के पूजन का पावन पर्व,
चित्रगुप्त प्रतिरूप कलम-लेखनी का पूजन पर्व,
कायस्थ व्यापारी वर्ग के नववर्ष के अगाज का पर्व,
विद्या, बुद्धि, लेखन के आराध्य चित्रगुप्त पूजन का पर्व।-
माना कलम पहचान हैं हमारी, पर हम भी उठा सकते हैं हथियार...
कर सकते हैं तम्हे दिमाग से खोखला, जो करोगे तुम पीठ पीछे हमारे वार.....
हर क्षेत्र में दिखाया हैं हमने दमखम, बजाया हैं जीत का हमने डंका....
हम कायस्थ हैं एकदम से वक़्त बदल सकते हैं, रखना मत हमपे कोई शंका....
जय चित्रांश.....-
विचारो मे गहनता.. शिक्षा का परिणाम हैं!!
कलम हैं ताकत मेरी.. पूर्वजों का ऐहसान हैं!!
चित्रगुप्त का वंशज हूँ मै.. शिक्षा मेरी पहचान हैं!!
कायस्थ कुल से आता हूँ.. कलम ही मेरा अभिमान हैं!!
जय चित्रगुप्त जी महाराज....🙏🏻🙏🏻-
पाप एवं पुण्य के कर्मो का देवीय लेखपाल जो,
विद्या, बुद्धि, लेखन के आराध्य देव चित्रगुप्त।-
फक्र है मुझे इस बात की,
कायस्थ कुल की मैं बेटी हूंँ,
कुछ अच्छे कर्मों से,
कायस्थ कुल में जन्मीं हूँ,
कलम है हमारी ताकत,
कलम से ही पहचान हैं,
कलम हमारी शान हैं,
और हम उसपे कुर्बान हैं,
फक्र हैं मुझे की मैं कायस्थ हूँ,
कायस्थी होना मेरा सौभाग्य हैं,
हमारे परम पूज्य श्री चित्रगुप्त महाराज हैं,
उनके हाथों में रहती,
मोर कलम और स्याहीं हैं,
सबका लेखा जोखा रखना,
उनका ये आधिपत्य हैं,
कलम दवात की पूजा हम सब करते एक साथ हैं,
फक्र हैं हमें की हम कायस्थ हैं,
कायस्थ होना हमारा सौभाग्य हैं,
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