Rishitosh Ranjan   (Rishi #नाद ब्रह्म💥💫🔱)
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Joined 26 September 2020


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4 JUL AT 15:13

So rich, so treasures
Cultivating the bare mere!
Stop O traveller!
Stop O traveller!
At the rime of departure
Nothing remains here
Time to trigger
it here n only here!!
Nullify the remains
In between cycle here
Stop O traveller!
Stop O traveller!

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11 JUN AT 0:37

संकल्पों की छाया
बड़ी गेहन रें माया !
लिए संग काया की साया
संकल्पों की छाया!!
अश्रु ना उठे उस भवन से
जहां बनाया साज सैय्या!
चंद सिक्कों का ढाल बनाया
सिंच ना पाया वो बगिया !
संकल्पों की छाया!!

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19 MAR AT 0:34

चालक चले गति बढ़ावे
संग धारा कहाँ मूड़ पावे
मुड़त गिरत दर्पण दिखावे
ओढ़ रंगा कहाँ जग पावे
अहो अहो अब जाग पावे!!

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11 MAR AT 21:46

क्या करने
क्या लेने आया
अहो !!
चमन
अमन
अहो आवागमन!!
थम सोच, रुक जरा
बुझे कोई जाला
फेरे कोई माला
पिबत कोई प्याला
चढे पगडंडी मद हला हल
अविरल अनंत लेने वाला
मना रोये अ-मन जागे
मुस्कुरावत वो लेने वाला!!

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27 FEB AT 13:19

ऐसी नगरी जमें तो जाये
पगडंडी खोजे वो पहुंचाये !!
क्षणिक शाश्वत दर्शाये
कछु गावन कछु कहत ना जाये
भाव अभाव, सम् भाव हो जाये!!
दशा अभिव्यक्ति करहू ना जाये !!
#जागृति #शिवा

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22 FEB AT 13:30

चलत अनंत विचरत अनंता
जुड़े ताड़ सुनहईं मन संता
खेचत कर्मा बारांबारा
फेकत पासा बिन हु आधारा
कहइ संता सबहू तोहारा !!

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28 JAN AT 17:55

Behold on Thy sound
The vow of silence
Hidden treasure of Thy unto;
Of a certain point unto that
Beholding on nothingness
Holding no form no shape
Thy wave Thy wave only!!

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12 JAN AT 12:10

बिरहा परे अश्रु चले
लकीर वो फकीर रें साधो
दिखत अनंत व्योम तले
अनुभूति लिपट रोम-रोम रें साधो
वैराग्य चले आधार विहे
वो हिन् तो सम भाव रें साधो!!

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20 DEC 2024 AT 18:03

काव्य आत्मन रस यू
मिले आनंद अनुभूति ज्यों
ऐसी प्रीत लगी रे योगी
बिरहा मन रोवन लगी
व्याकुलता वियोग श्रींगार भरे
संयोग श्रींगार ज्यों तुझसे मिले!!

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30 NOV 2024 AT 22:43

छोड़त ना डोरी
पतंग उड़ान कब भर पावे !
रंगत, संगत उस दर्पण का
जाल स्व बुनत जावे !!
ज्यों ज्यों बहें किनारा
रंग, रंगत छुटत जावे!!
उतरत सागर में ज्यों
रहगुज़र दरिया मिल पावे!!

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