Rishitosh Ranjan   (Rishi #नाद ब्रह्म💥💫🔱)
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Joined 26 September 2020


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53 MINUTES AGO

जीवन ने ना जाने
कब क्या करवायें
स्व कार्मिक दुहराया
रस जीवन का समझाया
चक्र में बंधे चक्करी
कब चक्र भेद पाया
अहो अहो ये जिन्दगी
रास मन को भाया
अमृत गान गया
अहो अहो ये जिन्दगी
रास मन को भाया
बैठा पक्षी मंद मंद मुस्काया!!

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4 APR AT 12:39

Where there is no beginning no ending;
Nameless, Pathless, Fearless, Effortless
No measures of word Though
Silence alone;
Like a raindrop, streaming all around
That's the eternal state of being indeed!!

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1 APR AT 0:12

Seeking of happiness
How to avoid misery,o dear!!
Birth after birth
Running after mirage, that dear!!
Why not stop & hear
Intricate maze if delusion
One smile will have to weep, o Seer!!
Breach that Dual
Thy bliss is only There!!

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16 FEB AT 22:05

घटत दीपक का तेल
अहो अहो अद्भुत खेल
भ्रम काया की बाती
सिसरत जात ..
दिखत ना वो मेल
अहो अहो अद्भुत खेल!!

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15 JAN AT 18:03

हर घाट पें बैठी चिरैया
मंद मंद गुनगुनाये
प्रेम रस चख पाये राहगुज़र
नूतन जग दिखाये
खोल नयन सपने दिखे
बंद नयन तो अपने
जब से ओढ़ी प्रेम चदरिया
बगिया पुष्प मेहकाये !!

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1 JAN AT 0:15

चक्र समय
अंश पात्र रें बंधु
होवत सवार चक्रवा
अंश पूर्ण हो जात रें बंधु !!

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30 DEC 2023 AT 23:38

होता कौन "मैं" व्याकुल
बिरहा में रोने वाला
शाश्वत लिये पंख
होता कौन "मैं"
क्षणिक में बसने वाला
बहें शाश्वत वो धारा
होता कौन "मैं"
उसे चखने वाला
उठता तरंग चहू फैलता
होता कौन "मैं"
उसे देखने वाला
जो देखता इस "मैं" "मैं" को
होता कौन उसे देखने वाला!!

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23 DEC 2023 AT 2:05

आदि व अंत तुझमें समाया
क्यों ना स्व को जान पाया !
बिरहा की अग्नि तपें
क्यों ना गीत ,
उसकी जान पाया .!
मग्न तरंगें
रेत मिल पाए
क्यों ना मृगतृष्णा जान पाया !!

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4 DEC 2023 AT 0:26

ना खुद को जाने
ना ही औरों को
किनारे बैठा अजनबी
निहारत कहाँ स्व को
खींचता पानी पें लकीर
ठहराव कहां उसको
किनारे बैठा अजनबी
निहारत कहाँ स्व को ..
कुहासे से छुपा किनारा
दिखे उस परछाई को
बाँध ना पाये फिर कोई
उस अनजाने अजनबी को!!

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3 NOV 2023 AT 22:42

चलता चल रे पथिक
राह न मुश्किल होवे
परम का वरद संग होवे
पग न कबहूं विचलित होवे
गिरत पंखुड़ियां शीर्ष से
राहगुज़र ऐसे जब संग होवे
चलता चल रे पथिक
राह न मुश्किल होवे !!
पग डग पग डग करे हिलोरे
पग न वह राह छोड़े
गिरत पंखुड़ियां शीर्ष से
बगिया चहू वो पुष्प खिले !!

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