छठ
आत्मा को मिलता प्रकृती का अंश ,
जो जीवन(प्राण) बन जाता है ।
फिर प्रकृती की गोद में पलता - बढ़ता है यह जीवन ।
प्रकृती के आलिंगन में सदैव रहता है ही यह जीवन ।
आज जीवन को प्रकृती का स्पर्श करवाते हैं ,
छठ का पावन पर्व मनाते हैं ।
निरंकार ब्रह्म के साकार सरल प्रमाण ,
सूर्य और प्रकृती का करते हैं अर्चन ,
जो करता जीवन का अर्जन ।
चार दिवस का उत्सव , नहा - खा , खरना ,
फिर 36 घंटे का निर्जला उपवास ।
तब सूर्य देव को संध्या बेला और अगली सुबह
में देते शीतल जल में खड़े हो अर्ध्य ।।-
ये घाटों की सफाई क्यूं, किसी पर्व की तयारी है क्या
सर पे गमछा बांध रखा है , अरे आप बिहारी हैं क्या..
हमारे पडोसी ने जितिया में पूआ-पूरी दिया तो था ,
इस बार ठेकुए की बारी है क्या ?-
#महापर्व छठ
हम आस्था का महापर्व छठ मनाते हैं।
एक दूसरे के साथ प्रेम और सौहार्द दिखाते हैं।
दुनिया सिर्फ उगते को, हम डूबते को भी प्रणाम करते हैं।
हां हम बिहारी हैं, अपनी संस्कृति पे उल्लास मनाते हैं।
इसमें ना कोई छुआछूत ना कोई भेदभाव दिखाते हैं।
हम सब हर्ष उल्लास के साथ महापर्व छठ मनाते हैं।-
हैप्पी छठ पूजा सभी को
उगते सूरज जग में,माना की रोशनी लाता है
हमारे यहाँ पर डूबते सूरज को भी पूजा जाता है
नदी किनारे शाम ओ सुबह मेला सा लग जाता है
छठी मईया को अर्घ देने जब व्रती घाट पर आता है
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जगह जगह घाट सुंदरता से भरपूर दिव्य हो जाते है,,
जब हम बिहारी अपने छठ का त्योहार मनाते है।।
जिंदगी में कभी हो ना हो ....पर कसम से आज के दिन... बिहारी होने पर बड़ा गर्व होता है,,....!!-
मंदिर की घंटी,
आरती की थाली,
नदी के किनारे
सूरज की लाली,
जिंदगी में आए
खुशियों की बहार,
सबके दिलो मे हो
सबके लिए प्यार,
आनेवाला हर दिन
लाए खुशियों का त्योहार,
इस उम्मीद के साथ
आओ भुलाकर सारे ग़म,
छठ पूजा का हम
सब करे वेलकम-