QUOTES ON #CHAMCHAGIRI

#chamchagiri quotes

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10 OCT 2020 AT 16:38

साधुओं की हत्या पर देखो, खून कैसे खौल रहा,
बहनों की इज्जत लुटी, कुछ नहीं हो सकता इस देश का,

वही शख्स बोल रहा,

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16 JUN 2020 AT 12:31

शौहरत की दुकानें खुली हैं
क़ामयाबी सस्ते दामों में बिक़ रही है
मुफ़्त में लेने का हक़दार वही
जिसमे चापलूसी की झलक दिखी है

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13 JUN 2020 AT 15:18

जिनको कुछ ना आए उनके कुछ करने पर
जो कुछ ज्यादा ही वाह-वाह करते हैं 👏👏
बेशक़ वे हमारी नज़रों में भी खास अहमियत रखते हैं, प्यार से उन्हें हम 'चम्मच' कहते हैं.😂🤣

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2 JUL 2020 AT 18:10

हम सर इसलिए झुकाएं 🙏 क्योंकि हमें फूलों 💐 की माला पहनाई जा रही थी....लेकिन चमचों 🥄 को लगा कि हम भी उनकी तरह चापलूस हो गए हैं.😜😝

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26 JUN 2020 AT 17:17

#chamchagiri

Jinko kuch nahi aata wo chamchagiri se kamaal kr jaate h ..
Mehnat krne walo ka haq maar kar khud ko nihaal kr jaate h ..

Kuch paane k liye wo dusro k jutte bhi chaat le
Kitne gire hue h wo Aisa kr k apni aukat dikha jaate h..

Kaamyabi paani hoti h inko
Lekin khairaat m
Kehte h chalo chaap-lusi kr lete h kisi ki
Kuch nahi rakha mehnat ki baat m..

Idhar ki baat udhar kr k
Udhar ki baat idhar kar k
Ye logo ko khub ladwaate h
Fir jab ungli uthne lagti h inpe
Toh ye be kasur ban jaate h..

Aise log apna zameer bech
Aage toh badh jaate h
Par dusro ki nazro se dekho toh
Wo aur bhi neeche gir jaate h..

Izzat ki baat dur h
Ye sabki gaali he khaate h
Itna kuch kar k bhi ye
Khud ko bekasur bat-laate h ...

- vipul yadav







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7 NOV 2019 AT 23:20

मन की व्यथा!
मक्खन मारना मुझे आता नहीं
तलवे चाटना मुझे पसंद नहीं
फ़िर कैसे मैं समाज मैं ज़ीऊंँ?
यह आजकल समाज में प्रचालित है
ये सोचकर मुझे कभी कभी घुटन सी महसुस होती है
मन में सवाल पैदा होता है कि ;
मैं कुछ ग़लत कर रहा हूँ क्या?
क्या मुझे अपने स्वभाव में परिवर्तन लाना चाहिए?
फ़िर मुझे अपने अंदर से एक ही उत्तर मिलता है;
नहीं, नहीं....
तू जैसा है वैसा ही रहे
हमेशा तूने सच्चाई, ईमानदारी और प्रेम को
जीने का अस्त्र बनाया है
तू इतना जल्दी हार नहीं मान सकता
'लोग कुछ तो कहेंगे ही
उनका काम जो है कहना'!!

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18 AUG 2023 AT 1:28

चमचों के शहर में,
सही बोलने वाला बागी है यहाँ!

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2 MAR 2022 AT 0:03

"सुनो नादान परिंदे,
जिन "चमचों " से तुम अपना गुजारा कर रहे हों उन्हें हमने हीं कचरे में डाला हैं...
अपनी औकात के साथ-साथ अपनी चोंच काबू में रखो,समय ख़राब हैं आजकल, जिस दिन तुम्हें सुनाएंगे, तुम्हें अंदाजा नहीं कि डोज़ इतना होगा कि आंशू ख़तम होंगे तुम्हारें..."

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3 SEP 2021 AT 16:47

डिग्रियाँ तो सोने के भाव मिल रही है,
काबिलियत कोड़ियों के भाव तुल रही है,
इक ख्वाब सजोखे आये थे सफरें जिंदगी में,
साहब यहाँ तो अहमियत चमचों को मिल रही है,

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30 NOV 2020 AT 21:21

खुद्दारी तो अपनी बचपन से साथ है।
तेरी तरह इसे बेचा नही हमने।

चमचागिरी करने की आदत तो बहुत दूर है।
तेरी तरह ज़मीर को बेचा नही हमने।

Special think for chamcha's in all sector....

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