Azad Singh Kardam   (Azad Singh Kardam)
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ए कलम तू चला कर,न किसी से डरा कर!
Joined 27 January 2019


ए कलम तू चला कर,न किसी से डरा कर!
Joined 27 January 2019
27 APR AT 7:22

तुमसे जो वादा किया वो निभाना है!
ये दिल तुम्हारा ही था,
अभी भी तुम्हारा दीवाना है!!

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19 MAR AT 21:21

हम भी वहीं थे,
तुम भी वहीं थे!
दिल था दोनों का सहमा-सहमा बहका-बहका,
तकरार जो थी इसलिए न हमने तुमको देखा न तुमने हमको देखा!
मतलब साथ होते हुए भी दोनों साथ नहीं थे,
अंत में नतीजा ये निकला हम गलत तुम सही थे।

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16 MAR AT 9:01

अकसर लोग अधूरेपन में जीते हैं,
बोलना चाहते हुए भी अपने मुख को विराम देते हैं!
रिश्तों को निभाते-निभाते वो हों वो हो जाते हैं परेशान,
इसलिए वो बंद कर लेते हैं अपने आंख और कान।

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16 MAR AT 8:43

उम्मीदों की लहर है अंदर,
चाहे कितना ही गहरा है आपके विचारों का समुंदर!¡
जब-तक न लिखोगे न कहोगे सब व्यर्थ है,
चाहे भले ही आप हों लेखन के सिकंदर।

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11 MAR AT 20:04

ये सबकी कहानी है,
कुछ ने सुना दी कुछ को सुनानी है!
लिखते रहो दिल खोलकर अपने विचारों को यारों,
क्योंकि लौटकर फिर वापस नहीं आएगी ये जो जिंदगानी है।

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11 MAR AT 19:41

इन यादों में भी तुम बसे हो,
इस दिल में भी तुम बसे हो!
ये दिल दिमाग ये संपूर्ण शरीर तुम्हारे रक्त से बना है,
इसलिए हे जन्म दाता हमारे शरीर के कण-कण में तुम बसे हो।

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11 MAR AT 19:29

याद तो हर पल आती है उनकी,
बस बयां नहीं कर पाते हैं!
जिन माता-पिता ने हमको जन्म दिया,
पता नहीं क्यों एक दिन वो हमें छोड़कर चले जाते हैं?

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10 MAR AT 21:21

तो फिर दुनियाँ में क्यों इतना दर्द है?
लाखों हों परेशानियां फिर भी मुस्कुराए,
दुनिया कहती है असल मायने में वही मर्द है!
लेकिन बेशक किसी से कहे न कोई,
होता सबको दर्द है!
और जो शांत व्यक्ति हमें दिखता है हर कोई,
उसके पीछे उसका अपना-अपना फर्ज है!

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6 MAR AT 0:48

हर किसी के लिए खास हुआ करते थे कभी,
आज हर किसी के लिए आम हो गए हम!
यूं तो जलवा हुआ करता था हमारा भी हर महफिल में,
आज दो वक्त की रोजी-रोटी कमाने खाने में कहीं गुमनाम हो गए हम!!

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9 JAN AT 8:07

बाकी कहने को तो सारा जमाना अपना है!
मुसीबत पड़ने पर काम आयेंगे लोग,
खुली आंखों से देखते हम ये सपना है!
इस तरह के सपने कम ही होते हैं साकार,
इसलिए उम्मीदें कम लगाओ दूसरों से
खुद को मजबूत बनाओ
और निष्पक्ष करते रहो सबसे प्यार!

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