तुम्हारे इस खेल को
अपनी किस्मत का लिखा समझकर...
दिल पर जो बोझ था मेरे
मैंने उसको अब साफ़ किया है!!
तुम्हारी चालाकियों को नहीं
मैंने सिर्फ तुम्हारी गलतियों को माफ़ किया है!!-
इश्क ने यह मेरा कैसा हाल कर दिया,
पत्थर से दिल को मोम बनाकर
आग के हवाले कर दिया !-
धीरे धीरे ही सही हम भी सीख लेंगे 🫡
चला कैसे जाता है , छला कैसे जाता है 😏-
लोगों के हर पल बदलते रवईयों से नहीं घबराती ,
बस चालाकियों के अंदाज़ो से सहम जाती हूं...!!
-
नफरतो के शहर में
चालाकियों के डेरे है
रहते है यहाँ वो लोग
जो तेरे मुँह पर तेरे
और मेरे मुँह पर मेरे है...!!-
"एक दौर इम्तिहानों का"
इस कद़र परेशां करने लगी हैं ये मासूमियां
अब थोड़ी सी चालाकियां भी कर लें क्या?
थक चुके हैं दफ्न करके दिल में एक समंदर
अब इन आंखों से थोड़ा दरिया बहा दें क्या?
चुभने लगी हैं अब ये खामोशियां सभी को
सब्र भुलाकर अब थोड़ा-सा चीख लें क्या?
शिकवा करें भी तो किससे क्या शिकवा करें
बेहतर है ख़ुद ही पर इल्ज़ाम लगाना क्या?
ए खुदा! हम सब्र रख लेते हैं हर इक दफा
अब सिलसिला-ए-इम्तिहान खत्म करोगे क्या?-
चालाकियां हमें भी समझ आती हैं
पर हम नहीं चाहते कोई अपनी ही नजरों में गिर जाए-
झूठ, फरेब, दगा, सब आजमा रहे हैं मुझपर,,
भ्रम में रखकर झुका रहे हैं मुझकों,,
क्या बताऊं उन्हें,,
ये तो वक्त उनसें करवा रहा है,,
बड़ी सख्ती से मुझे चालाकियां जो सिखा रहा हैं.....।-
चालाकी कहाँ मिलती है, मुझे भी बता तो दोस्तो,
हर कोई ठग ले जाता है, जरा सा मीठा बोलकर-