खुशबू अपनी पहचान की मोहताज नहीं होती है
जिधर जाती है अपनी सुगंध बिखेर कर आती है !-
Thoda dur-dur rahungi tumse,
Kyunki nazdikiyaan fir se hmari kurbat ki tasveerein zehen me taaza kar dengi,
Ar shayad ek baar fir mujhe bikher k rakh dengi..!!-
तुम्हारी गुज़ारिश को मैं सर आंखों पर रखता हूं लेकिन ,,
तुम्हारे बिना जो मैं पल-पल मर रहा हूं उसका क्या ..!!-
धन सम्पति की पहचान अपनी राज्य में ही बस होती है,
ज्ञान गुण की पहचान देश बिदेश में होती है ।
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हम ने उनसे कहा अजनबी लोगों से
जरा सोच कर संभल कर रिश्ते बनाए
जब वो चले जाते है बीखेरकर रख देते हैं
तो वो मुस्कराके बोलते हैं के तुम भी तो
कभी अजनबी ही थे-
चांद भी कोसों दूर रहता है...मगर उसकी रोशनी खुद में बिखेरने के लिए ज़मीन को दिनभर तपना पड़ता है ✨🌑।
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बात अगर हँसी की होती तो हम भुला भी देते
...मगर उनका यूँ दिल्लगी करना बेचैन कर गया..!-
बात गर बातों की होती तो भुला देते
मगर यहाँ खुशबु तेरी सासों का चढ़ गया।-
khush kismat khud ko bhi samjhunga
agar tere dedaar ki aj tareekh tehh ho jaati hai toh ..-
खूबसूरत का मतलब तो मेने तब समझा ,
जब उस पल में तुमसे मिलना हुआ ।
क्या हंसी थी वो ...
.. जो उस पल में कभी न भूलने वाली याद दे गए । "-