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24 JUN 2018 AT 8:02
हसीं मंज़र, दिलकश फ़िज़ा बा-कमाल है !
नहीं हुज़ूर, यह जन्नत नहीं.......भोपाल है !-
2 JUN 2018 AT 10:47
गर्मी तो यकीनन बहुत है तेरे शहर में, पर
क्या इससे भी तेरा ग़ुरूर नहीं पिघला..!?!-
26 JUN 2021 AT 23:08
वह शाम की चाय बहुत खास थी।
नुक्कड़ में दोस्तों के गप्पे ,
मां बाप के पुराने किस्से,
चेहरे में एक सुकुन सी मुस्कान थी।
उस चाय में कुछ तो बात थी।-
26 JUN 2020 AT 20:22
कोई फरियाद भी बाकी नहीं
फिर क्यू उलझती है मेरी सांसों से
क्यू मुझसे तू भुलाई जाती नहीं !-