Hm bekhabar kya huye tum hoshiyar ho gye
Dekhte hi dekhte mohalle ke
Sardar ho gye.-
बीता हुआ कल नहीं हूं जो भूल जाओगी
बड़ा जिद्दी हूं ऐसे ही दूर कहा जाने दूंगा
बातों में नहीं दिल में तो आ जाओगी-
आशिक हूं मैं बेख़बर हसीनाओं का,
जो यकीन ना हो किस्सा सुन मेरी हर नज़्म का।।
I am a lover of ignorant beauties,
If you are not sure, listen to my every words..-
कभी-कभी मैं बेखबर हो जाता हूंँ
दरिया से भी मैं प्यासा लौट जाता हूंँ।
कोई जानता नहीं है मुझे अब तो
मैं बेझिझक गलियों से गुज़र जाता हूंँ।
आसमान तक भेज के देखा है मैंनें
अब दुआओं से भी मैं रूठ जाता हूंँ।
इक रोशनी मैं हमेशा साथ रखता हूंँ
अंँधेरों में कभी-कभी खो जाता हूंँ।
बारिश की एक बूंँद मुझ तक नहीं आती
बरसात में भी मैं तन्हा रह जाता हूंँ।
दोस्तों से बिछड़े एक अरसा हो गया
मैं ख़ुद की परछाई से अब डर जाता हूंँ।
मयकदे में मिलते हैं मुझे अपने
जिन्हें सुन कर ग़मगीन हो जाता हूंँ।
हाल-ए-दिल नहीं कहते किसी को
कि यादों में कहीं दूर चला जाता हूंँ।
काफ़िले से कह दो कहीं और से गुज़रे
कि सुबह होते ही मैं सो जाता हूंँ।
ख़ुदा का फ़ैसला है बेहतर ही होगा
बुरा भी लगे तो मैं मान जाता हूंँ। — % &-
मेरी सादगी पर हो जो तुम फिदा, ये तुम्हारे इश्क़ की मदहोशी है
तुमने पढ़ा ही नहीं चश्म-ए-दर्द मेरा, फकत लबों की खामोशी है
मेरे दर्द से बेखबर, खिंचे चले आते हो मेरी तरफ
इसे मैं क्या कहूं, बस तुम्हारे क़दमों की बेहोशी है-
कुछ तो खास रिश्ता हैं मेरा
उस शख्स से ...
यू ही नहीं सभी के नाम से
मेरी आँखें नम हुआ करती हैं ...-
खबर रहेगी ना खुद की...
हर वक्त रहोगे बेखबर...
इश्क कहती ये दुनिया जिसे...
सच में है वो मीठा ज़हर...-
मशरूफ हूं मैं बेशक खुद में पर हालात से तेरे बेखबर नहीं
अब तेरा इंतज़ार भी ना कर पाऊं इतनी भी बेसबर नहीं।।
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हजारों कश्तियां तोड़ रही दम,
दरियाओं के आंगन में,
तुम हो की फरेबो के तूफां में,
साहिल की तलब रखते हो।-
دل میں حسرتِ دید کی قندیل جلاۓ میری یہ منتظر نگاہیں
کِتنےعرصے سے دیکھ رہی ہیں اُسکی راہ اُس بے خبر کو خبر کہاں
Dil me hasrat e deed ki qandeel jalaye meri ye muntazir nigahe
Kitne arse se dekh rahi hain uski raah us be khabar ko khabar kaha
✍️رائٹس۔ناعمہ اصلاحی-