इस कदर बरस रहे है बादल,
बतलाओ,
अरे हमें बतलाओ,
वो रोए भी तो रोए कैसे ।।-
सारे इत्रों की खुशबू,
आज मन्द पड़ गयी..
मिट्टी पे बारिश की
बूंदे जो चन्द पड़ गयी..!-
मेरी महफ़िल में अभी नज़्म की इरशाद बाक़ी है ...
कोई थोड़ा ही भीगा है , अभी तो पूरी बरसात बाकी है...!!!-
"बिन तेरे ज़िस्म भीगें रूह मेरी तरसती है"...
कहता नहीं पर तेरी कमी मुझे आज भी खलती है
भीग जाता हूं फिर भी अंदर की आग जलती है
जैसे जलती धरा जब पानी के बूद को तरसती है
तब काली घटा झूम झूम कर जोरो से बरसती है
बिन तेरे ज़िस्म भीगें रूह मेरी तरसती है...
बारिश की आवाज़ जैसे तेरी पायल खनकती है
तेरी तलाश में निगाहे मेरी इधर उधर भटकती है
जब कभी काली घटा के संग बिज़ली चमकती है
सच कहता हूं तेरी तस्वीर की झलक दिखती है
बिन तेरे ज़िस्म भीगें रूह मेरी तरसती है...
अब तो तन्हाई भी देख कर मुझे हँसती है
अक्सर याद आती संग तेरे जो की मस्ती है
छोड़ मुझे खुद ख़ुदा के घर बना ली बस्ती है
बिन तेरे यहाँ ना मेरे प्यार की कोई हस्ती है
बिन तेरे ज़िस्म भीगें रूह मेरी तरसती है...
-
कभी तुम भी आजाओ हम से मिलने,
बिन बुलाये इस बरिश की तराह...
कभी इस कदर भी बरसा दो प्यार,
बिन बादल बरसात की तराह...
जैसे पहले बरीश के बुंदे महका देती है आंगन मैं खुश्बू,
तुम भी दिल को महका दो उस खुश्बू की तराह...
बस इतनी भी देर ना करना के
मेरा दिल भी बन जाये बंजर रेंगिस्तान की तराह.....-
आज का मौसम भी बाहोत खूबसूरत है,
हवा चल रही, बूंदे शोर मचा रही,
बारिश में खड़े आंसू भी धुल गए मेरे
तेरी याद मुझे बहोत रुला रही,-
कभी बरसती है दिल खोल कर
कभी खामोश सी रहती है...
न जाने क्यों ये बिन मौसम की बारिश
बिल्कुल तुम जैसी लगती है...-
ऐ जाने वाले ज़रा बाहर बारिश तोह देख..
कैसे छुप रहे है पंछिया ज़रा यह तोह देख..
और तुझे कुछ नहीं दिखता चल ठीक है..
ज़रा मेरी आंखों में बहते आंसू तोह देख..-
बारिश
मरहम मेरे हम गम की
सुकून हैं मेरे मन की
जो भीग जाऊँ गर कहीं
तो लगे रंगों से भरी है
ये बेरंग सी जिंदगी!
-
आज आंखों में नींद कुछ कम - सी हैं
लगता हैं आसमां में काले बादल छा गये हैं
और बारिश बस होने ही वाली हैं ।।-