किससे कहें, कहां जाएं
अब तो रास्ते भी मय्यसर नहीं
जिसे समझ रहे थे अपना ज़मानों से
अब अपने वो भी घर नहीं-
माना कि किसी के जाने से ये जिंदगी नहीं रुकती है
पर जो दिलों में जगह बना लेते हैं, उनकी कमी हमेशा खलती है
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दिल दुखाता है बहुत जानती हूँ
फिर भी प्यार है उससे
ये इश्क़ कमबख्त नफरत
करने नहीं देती...-
वो लम्हा भी कितना खूबसूरत होगा
जब आपको इस दिल से मोहब्बत होगी
खुद खुदा भी देगा गवाही इस इश्क़ की
कुछ ऐसी हमारी चाहत होगी...
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जिनकी अदायगी की चमक के आगे सितारे भी बेदम लगते हैं
ऐसे चमकते सितारे दुनिया में कम मिलते हैं-
मुझसे से ज्यादा दिल को चाहत है तुझसे
इसलिए मुझे नफरत है इस कमबख्त दिल से....-
सपने छोटे ही सही उड़ान बड़ी होनी चाहिए
जिंदगी कम ही सही पहचान बड़ी होनी चाहिए..-
कभी बरसती है दिल खोल कर
कभी खामोश सी रहती है...
न जाने क्यों ये बिन मौसम की बारिश
बिल्कुल तुम जैसी लगती है...-
कुछ उनकी बातें चुभ सी गई हैं दिल पर
उन बातों को भुलाऊँ कैसे
उन्हें लगता है हम भूल गए हैं उन्हें
पर उनपर पहले सा हक जताऊं कैसे
प्यार तो अब भी है बेपनाह
फिर भी दूर क्यों हैं ये उन्हें समझाऊँ कैसे-
रात के अंधेरे में जो आफताब दिखा दे...
इश्क़ का नशा ही ऐसा है, बिना सोए ही ख्वाब दिखा दे-