भूल के सारे जख्मों को
कान्हा की बाँसुरी गुनगुनाती है
अपने कान्हा के संग
तब नाचे सारा वृन्दावन
होकर मगन
जब कान्हा हो संग
तो बाँसुरी को क्या गम
💕💕💕-
राधा के प्रेम में कृष्ण की बंशी बज रही है
बंशी की धुन में मीरा बावरी हो रही है
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।।रंग चढ़े ना कोई दूजा,मोहे रंग दो श्याम पिया।।
।।मोहन की धुन मो-हन लागी,मोहे सुना दो बाँसुरिया।।-
सुनो कान्हा...
तुम्हारी बाँसुरी की धुन सुनकर मैं
कुछ यूँ मंत्र मुग्ध हो जाती हूँ...!!
कि मेरे पाँव जमीं पर होते हैं और
मैं प्रेम-लोक की सैर कर आती हूँ...!!-
मेरे तुम्हारे प्रेम में
मैं ही तुम्हारे लिए बांसुरी थी
और मैं ही वृन्दावन
तुम जाते जाते मुझे तोड़ भी गए
और छोड़ भी गए-
हरि छेड़त जब मधुर मुरली तान
डोलत तब पात-पात व्रज के
खोवत सुधि सकल गोपिका वृंद
थिरकत पग प्रीति-नूपुर सज के।
सरकत भूमि पर स्वयं सारंग
जमुना-जल अचल गति तज के
भावे जो श्याम अधर-अम्बुज
वेणु वह धन्य हरि-मुख बज के।-
कान्हा बाँसुरी बजाओ ना...2
मैं हो जाऊँ दिवानी कान्हा तेरी
ऐसी प्रीत धुन बजाओ ना
कान्हा बाँसुरी बजाओ ना...2
भीख माँगूँ मैं अपने प्रेम की तोसे
अब रहा ना जाए तोरे बिन मोसे
कान्हा अब इस प्रेम को बढ़ाओ ना
कान्हा बाँसुरी बजाओ ना...2
तुझ संग प्रीत लगा के कान्हा
अपना दिल गई मैं हार कान्हा
अब इस दिल को तुम लुभाओ ना
कान्हा बाँसुरी बजाओ ना...2
आ जाऐं यहाँ मेरी सखियाँ सारी
फिर नृत्य करें यहाँ सखियाँ सारी
तुम ऐसा गीत कोई गाओ ना
कान्हा बाँसुरी बजाओ ना...2-
बांसुरी से सीख ले मानव सबक-ए-जिन्दगी..
लाख सीने में जख्म हो फिर भी गुनगुनाती है... 🌼!!-
बंसी बजाकर सबको है नचाया,
जिसने दुनिया को खुशी से जीना सिखाया !!!-