@ Åmìť Shårmå   (अमित शर्मा (हिमाँशु ✍️))
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16 OCT 2024 AT 20:03

बेइंतहा मोहब्बत दे कर इस तरह से छोड़ जाने वाले
मेरी नफ़रत के काबिल भी ना रहे ये दिल लगाने वाले ।।

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1 AUG 2024 AT 20:38

तुम ने कहा वो भी मान लिया हम ने
तुम थे कैसे ये भी जान लिया हम ने
चले गए हो तो अब लौट कर मत आना
मैं अब मिलूंगा नहीं ये भी ठान लिया हम ने

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28 JUL 2024 AT 13:38

ग़र तुम चले भी जाओ तो लौट कर आना ऐसे,
समंदर की लहरें लौट कर दोबारा आती हैं जैसे..!

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25 JUL 2024 AT 11:38

खुश रहना उम्र भर ये कह के गया है
हालांकि, मैं कह नहीं पाया कि मेरी
खुशियां ही तुमसे है

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25 JUL 2024 AT 11:23

अब उसके सभी दोस्त उसे समझाने लगे
मोहब्बत का दर्द-ओ-ग़म उसे बताने लगे
जब दोनों का मिलना मुक़द्दर में था ही नहीं
तो क्यों इतनी आसानी से इश्क़ निभाने लगे

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20 JUL 2024 AT 21:09

पीछे मुड़ कर भी ना देखा उसने,
सोचो, इश्क़ इतना कमज़ोर था.!

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17 JUL 2024 AT 10:06

मेरे बिना ख़ुश रह सको तुम उम्र भर इस ज़माने में
कुछ भी हो तुम पर हम इतनी इनायत ज़रूर करेंगे,
ना यार मिला ना प्यार, क्या किस्मत बनाई है तूने
मिलेगा ख़ुदा कहीं तो इतनी शिकायत ज़रूर करेंगे..!

( इनायत - कृपा )

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29 JUN 2024 AT 10:58

ग़र ना मिले महबूब तो उसे छोड़ देने की बात करते हैं
देखो इन नए आशिकों को इतना भी ज्ञान नहीं..!
हर रोज़ सौ बार मरना पड़ता है किसी के इन्तेज़ार में
बता दो मोहब्बत करना इतना भी आसान नहीं..!

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29 JUN 2024 AT 10:27


इक बार तुम थाम के तो देखो हाथ मेरा
वादा है मेरा फ़िर उम्र भर साथ निभाऊंगा

हाँ मैं तुम्हें अपने घर दुल्हन बना के लाऊँगा.....

तुम कर लेना कुछ देर और इन्तेज़ार मेरा
मैं तुम्हारी माँग मे सिंदूर लगाने आऊंगा

हाँ मैं तुम्हें अपने घर दुल्हन बना के लाऊँगा.....

सुना है मोहब्बत करने वाले एक नहीं होते
एक होते है ये साबित कर के दिखाऊंगा

हाँ मैं तुम्हें अपने घर दुल्हन बना के लाऊँगा.....

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27 JUN 2024 AT 15:20

" रह लेंगे हम तुम्हारा घर चाहें जैसा भी हो "
" सह लेंगे सीने में दर्द चाहे जैसा भी हो "

" बादलों ने ठाना है बरसेगें तो बरसेगें "
" तुम्हारे घर का आँगन चाहे जैसा भी हो "

"चलते रहना यूँ ही सफ़र में तुम "
" तुम्हारे रास्ते का कांटा चाहे जैसा भी हो "

" तुम जैसे हो बैसे ही दिखते रहोगे उम्र भर "
" तुम्हारे घर का आईना चाहे जैसा भी हो "

" तुम्हारे कंधे पर अच्छा लगता है ये इज्ज़त का गहना "
" फ़िर तुम्हारे दुपट्टे का रंग चाहे जैसा भी हो "

" तुम्हें कल भी पाने की चाहत थी आज भी है "
" फ़िर तुम्हारे चहरे का रूप चाहे जैसा भी हो "

" कौन चाहता है यहाँ ज़िंदगी तन्हा गुज़रे "
" बस साथ हमसफ़र हो चाहे जैसा भी हो "

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