@ Åmìť Shårmå   (अमित शर्मा (हिमाँशु ✍️))
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9 MAR AT 22:29

" रह लेंगे हम तुम्हारा घर चाहें जैसा भी हो "
" सह लेंगे सीने में दर्द चाहे जैसा भी हो "

" बादलों ने ठाना है बरसेगें तो बरसेगें "
" तुम्हारे घर का आँगन चाहे जैसा भी हो "

"चलते रहना यूँ ही सफ़र में तुम "
" तुम्हारे रास्ते का कांटा चाहे जैसा भी हो "

" तुम जैसे हो बैसे ही दिखते रहोगे उम्र भर "
" तुम्हारे घर का आईना चाहे जैसा भी हो "

" तुम्हारे कंधे पर अच्छा लगता है ये इज्ज़त का गहना "
" फ़िर तुम्हारे दुपट्टे का रंग चाहे जैसा भी हो "

" तुम्हें कल भी पाने की चाहत थी आज भी है "
" फ़िर तुम्हारे चहरे का रूप चाहे जैसा भी हो "

" कौन चाहता है यहाँ ज़िंदगी तन्हा गुज़रे "
" बस साथ हमसफ़र हो चाहे जैसा भी हो "

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18 FEB AT 22:34

किसी को क्या पता हम कितने दर्द लिए बैठे हैं..!
सब को लगता है हम तो होंठो पर मुस्कान लिए बैठे हैं..!

ज़ख्म अपने किसी को खोल कर दिखा नहीं सकते..!
हमारे अपने लोग ही यहाँ हाथों में नमक लिए बैठे हैं..!

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25 MAR 2023 AT 15:21

बातें तो बहुत उससे कहने के लिए
पर वो बात आज भी कहने से डरता हूँ

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29 DEC 2022 AT 10:16

खामखा रूठ जाएगे नयी साल पर
वो जानते है मनाने आ जाएगे

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14 MAY 2022 AT 11:47

उसे ग़ैरों के साथ ख़ुश होते
देखता रहता हूं..!
सोचो कितना कुछ सहन
करता रहता हूं..!

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5 MAY 2022 AT 10:59

हम सोचते तो है जिंदगी का हर पल
ख़ुशनुमा हो जाएगा !
जब जीवन में कुछ करोगे नहीं तो
क्या ख़ाक हो जाएगा !

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4 MAY 2022 AT 13:24

बहुत गिरा कर दिखाया है तूने मुझको
अब तो उठना सिखा दे ए ज़िंदगी !
हर रास्ते पर ठोकर दी है तूने मुझको
अब तो कोई नया रास्ता दिखा दे ए ज़िंदगी !

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4 MAY 2022 AT 8:19

" वो जो मुझे छोड़ कर इतनी दूर जा कर बैठा है "
" मेरे मन के कोने मे इक ख्याल आ कर बैठा है "
" छोड़ ये मोहब्बत-वोहब्बत और निकल सफ़र में "
" वो ख्याल बस यही इक बात हर रोज कहता है "

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10 APR 2022 AT 7:55

सफलता के तमाम मूलमंत्रों में
या यूं कहें कि सफ़लता के सफ़र में
आपका धैर्य (Patience) बहुत ही
अहम रोल अदा करता है.....!

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13 FEB 2022 AT 22:35

बेबसी ये है कि कांटों पे चल रहा हूं मैं,
दुख ये है कि फ़िर भी हँस रहा हूं मैं..!
मंज़िल बहोत ऊंची है गिरने का डर भी है,
फ़िर भी बहोत संभल के चढ़ रहा हूं मैं..!


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