"उसकी आँखो में अब मेरी तलाश नही है...
वो बही है फ़क़त उसमे वो बात नहीं है "-
Kitne thokar khaye
Phir v mudna nahi aye
Tum to waqt guzara karte the
To adaat bhala kaise chhoot gayi-
जो चले थे कभी राहों में...
हाथों में हाथ डालकर...
अब मुझे देख वो...
रास्ता बदल लेते हैं...
Read full poem in caption...
And give feedback in comment box...-
उम्मीद बदलाव की दूसरो से ही हो
ये मुमकिन तो नहीं
कुछ वादे खुद से भी कर लिया करो.-
यहां सवालों के कशमकश में मेरी उम्र गुजरी है,
जैसे रेगिस्तानों से कोई बूंद जमीं से हो के गुजरी है।
अब की यारों मौसम ने हमें मंजर क्या दिखाए है,
जो जीव मर रहे थे उनके बदले हम जाने गवाए है।
हम प्यासों ने पानी को जहर करके तन्हा रातें गुजारी है,
न्याय को बेचकर रास्ते तबाही के खुद हमने निकाले हैं।
ऐसे आगे बढ़ के पिछड़े है जैसे हमारा गराँ ज़ियाँ हुआ है,
हम वो गुनहगार है जिन्होंने हमेशा नया सम्त निकाल लिया है।
-
बदले तुम भी हो बदले हम भी है
फिर क्यों बवाल हैं बदलने पर
बदलना तो नियम है संसार का
फिर क्यों सवाल है बदलने पर?-
मैं अक्सर बस खामोश रह जाता हूं ,
बस देखता हूं प्रकृति के इस बदलाव को !!-
ज़माना देखो, अब लोग बदल चले।
अपनों की अहमियत भूल कर,
जाने कौनसी झूठ की तरफ़ बढ़ चले।-
काफ़ी कुछ बदल जाता है जीवन में,
सिर्फ एक पल के फ़ैसले से।
हमने महसूस किया है सुख-दुःख,
और वो नासमझी वाले खयालों के सैलाबों को।-
तुम ऐसे तो नहीं थे यार,जैसे अब हो गए हो
बदलाव समझ में आता है,पर तुम तो पूरे ही बदल गए हो
बात करने का तरीका बदल दिया,बात ना करने का बहाना ढूंढ लिया
अब अगर कह दूं तुमसे की,तुम बहुत अलग तरीके से पेश आ रहे हो,तो उस बात की भी सफाई देने लगोगे
फिर मेरी कमियों की लिस्ट निकाल के खुद की हरकत को परे हटा के मुझे ही दोषी करार दोगे
थोड़े बहुत बदलाव सबमें आते है समझ आता है
पर वक्त के चलते क्या कोई इतना बदल जाता है
की तुममें और एक अजनबी में कोई फर्क ना कर सके
पहले तो बेपरवाह कुछ भी बोल दो अब तो सोच के बोलने में भी डर लगे
ऐसे ही खो देते हो क्या सबको?
फिर याद आती हैं जब मतलब हो
तुम ऐसे तो नहीं थे यार जैसे अब हो गए हो
-