Woh Meherba'n He To Iqrar Kyon Nahi Karta...!!!
Woh Badgumaa He To So Baar Aazmaye Mujhe...!!!
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गले से ना लगा मुझे पर खाक ना कर
कसम है तुझे इश्क़ मेरा गुमनाम ना कर
तेरे हर नज़र से टकराए मेरे नज़र
हम नज़र बनाके मुझे बे नज़र ना कर
चाहत है मेरी जमीन आसमान तक
वफ़ा ना कर सके पर बद्गुमान ना कर-
किसी की कामयाबी को देख बदगुमां होना भी मरज़ी कैफियत की निशानी है..!!
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जो मेरी मुहब्बत के अफसाने का उनवान रहा,
वो ताउम्र इस बात से बेख़बर बदगुमान रहा!!
جو میری محبت کے افسانے کا عنوان رہا،
وہ تا عمر اس بات سے بیخبر بدگمان رہا !!-
Munasib hi nhi hai lagta
ab aur tumse talluq rakhna
Ye badgumani aur badhti jaye
Isse behtar hai ki hum alag ho jaye
Suna hai....
Door rehne se mohabbat badhti hai
Agr tumhe bhi kabhi ehsaas ho jaye
Meri mohabbat ka...
To Laut aana wapas
Is dil ke darwaze...
Tumhe hamesha khule milenge...!!-
Mujhe Parkhna Ho to Mere Paas Chale Aana....!!!
Ye Yhan wahan Ki Khabrein Tujhe Badguman Krdein gi....!!!
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ना लगे किसी की आदत न लगे किसी की बददुआ,,
जाना तो एक दिन सबने है, क्यों होए किसी से भी बदगुमां-
बदगुमान
ये बदगुमानी का दाग आख़िर कब तक ढोओगे?
ख़ानाबदोश हो क़त्ल-ए-ऱम्ज़ कैसे छुपाओगे?
मेरा यकीं मेरे भरोशे को बेकदरी से तोडा,
अब बताओं फिर किसके भरोशे को अजमाओगे?
बहुत खुशफ़हमी में जीते हो ये कैसी बदगुमानी है?
मेरे क़त्ल का इल्ज़ाम है कैसे हटाओगे?
गली मैक़दे की हर रोज चक्कर लगाते थे,
उम्र ढल चुकी है वो लज्ज़त कहाँ से पाओगे?
शोख़ बदगुमानी में ना रहो दिल तोड़ने वाले,
तुम्हारे माथे की जो सिलवटें हैं कैसे मिटाओगे?
तुमने हया के चादर से ढाँप तो लिया है तन को,
मगर अपनी बेहयाई को कैसे छुपाओगे?-
देखो वो मुझसे कितना बदगुमां हो गया
इश्क़ जो भी था सब धुआँ धुआं हो गया-