बदलते मौसम के ढांचे में ज़िन्दगी को ढाल लिजिए जनाब,
वरना इस अनजानी दौड़ में ये वक़्त बहुत आगे निकल जाएगा ।-
Har mousam ki barsaat dekhi hai
Badalte mousam ki hawayein dekhi hai
Mene raato ko achank uthke
Bijliya kadakte dekhi hai
Yuhi nahi logo ke badalte chehro se waakif hu
Mene to nend me bhi
farebi logo ki muskaan dekhi hai
-
मौसम ने बदलने का हुनर सीखा बिल्कुल लोगों की तरह
तुम भी अपना ख्याल रखना बहुत तकलीफ देता है ये गैरो की तरह-
Badalte log, Badalte rishtey aur
Badalte mausam,
Chahe dikhayi na de
Magar meheshoos jarur hote hain-
सीखा है हुऩर लोगों से
मौसम ने बदलने का
हम तो मौसम को यूँ बदनाम कर बैठे••!!-
टहनी की पकड़ जब ढीली हो
और सूख चुके हों जो पत्ते
तो ज़रा सी तेज़ हवा से ही
वो अलग शाख से होते हैं
बारिश में मिट्टी गीली हो
और आंधी का जो मौसम हो
लहरा लहरा कर के दरख्त
गिर कर हरियाली खोते हैं
जब भी हों हालत सख्त
तो तुम भी इतना तय कर लो
जीत हार है परिणाम मात्र
संघर्ष है अस्त्र इसे धर लो
-
हसरत-ए-दीद को उनकी
हम भी यूं तरसते रहते थे...
फकत एक झलक को उनकी,
नैना बरसते रहते थे....
कि मानो सदियों से इन
राह तकती अंखियों में
दीदार-ए-याार को बिन मौसम
सावन बरसते रहते थे...
हो न सका एहसास उन्हें,
बैचेन तबियत का भी मेरी
जो कभी मेरी ख़ामोशी को भी
मीलों से पढ़ा करते थे.....
मुकर गए हैं लगता अब,
अपने ही किए सब वादों से
जिनकी वफ़ा के हम भी
कभी कसीदे पढ़ा करते थे...
दिल-ए-नादान बिछोह करले,
तू अब उनकी यादों से...
याद रख वो ये मौसम हैं,
जो अक्सर बदलते रहते थे....-
Kora kaagaz bharna sikh liya humne
Tanhai me rehna sikh liya humne
Phele toh mausam ko badalte dekha tha humne
Ab toh logo ko bhi badalte dekh liya humne...-
बदलते मौसम जैसे खुद को बदलता रहा ,
कभी इधर , कभी उधर दर-दर भटकता रहा !
कोई भी हाथ मदद का न बढ़ाया हमारी तरफ़ ,
पलट कर देखा तो ज़माना भी मुझ ही पर हंसता रहा !!-