QUOTES ON #BACHPANKEDIN

#bachpankedin quotes

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3 JUL 2021 AT 14:48

कुछ खट्टी, कुछ मीठी सी बातें
वो बचपन की लहराती यादें
दोस्तों के साथ बीते
हर पल याद आते
नुक्कड़ के झगड़े
अब चेहरे पर मुस्कान लाते
नटखट बचपन के ख़्वाब भी
अब नटखट नज़र आते
बचपन के वो शरारती लम्हें
आज बचपन की बहुत याद दिलाते।

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18 MAY 2019 AT 14:07

चल आज ज़रा एक काम करे
कुछ साल पुराने याद करे

याद हैं स्कूल जाते वक्त
वो स्कूटर पर आगे खड़े होने की हमारी जंग
चल आज ज़रा ...
कुछ वैसा ही आगाज़ करे

चल आज ज़रा एक काम करे
कुछ साल पुराने याद करे

तेरा दिन भर मुझे सताना
कभी बाल खीचना तो कभी मुंह चिढ़ाना
रात होता देख तेरा कुछ भीगी बिल्ली
और मेरा पापा का चमचा हो जाना

चल साथ बैठ कुछ ज़मीन नहीं
चाकलेट का बँटवारा एक और बार करे ..

चल आज ज़रा एक काम करे
कुछ साल पुराने याद करे

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4 JUN 2020 AT 12:16

बरसात के मौसम का आना
था दिलों में खुशियों का लाना
पड़ जाते थे झूले पेड़ों पर
फिर झूलों का झूलना और
ऊंचाई तक ले जाना
जैसे किसी मंजिल को पाना
इन्हीं खेलों को अपनी जिंदगी समझना
यही था बचपन का सपना
भमिरियों के पीछे भागना
उनकी दुमों पर धागा बांधना और उसे उड़ाना
बस यही था काम हमारा
बस यही था बचपन निराला
खो गए वो मेरे बचपन के दिन
खो गई मेरी बचपन की यादें
जिन दिनों में करते थे हम अटपटी बातें
(Part-3)

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4 JUN 2020 AT 12:07

कागज की नाव पानी में बहाना
उसे देखकर खिल-खिलाहट मचाना
चलती उस नाव के पीछे भागना
और उसे डूबने से बचाना
यही था काम हमारा....
बस यही था काम हमारा
दादी से कहानी सुनना
सुनते ही उनकी गोद में सो जाना
और सपनों में परियों की दुनिया में खो जाना
यही था मेरा बचपन सुहाना
(Part-2)

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9 SEP 2019 AT 1:05


बचपन समझदार हो गया जब से,
मैं ढूंढता हूँ खुद को गलियों मे।।

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11 SEP 2022 AT 11:39

अपनी छोटी बहन को पीठ में बिठा कर
उसके चप्पल को अपनें हाथों में उठा कर

कुछ पल की खुशियाँ खरीदने के लिए
दोनों चल पड़े चेहरे पर मुस्कान सजा कर

इसके पॉकेट से पैसे गिर ना जाये इस लिए
कुछ पैसे अपनी बहन के हाथों में छुपा कर

दुकान में बहन की पसंद के चॉकलेट लेकर
घर की तरफ़ चला, ये फिर से मुस्कुरा कर

माँ के हाथों में बचे हुए पैसे देकर कहता है
मैं शाम को आऊंगा,कुछ पैसे और कमा कर

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2 DEC 2019 AT 9:44

Bachapan bhi kamal ka tha, Na koi
Zaroorat thi, Na koi zaroori tha....
🖤🖤🖤

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6 OCT 2020 AT 22:05

-: बचपन :-

वो बचपन के दिन भी कितने शानदार थे,
मोबाइल लेपटॉप की जगह,
हाथी घोड़े के खिलौने मजेदार थे।

मां की गोद में आकर हर ग़म भुलते थे,
दिल तब लैला मजनू के चक्कर में नहीं
पसंद के खाने ना मिलने पे टुटते थे।

बचपन के वो दोस्त भी कितने अच्छे थे,
साथ मिलकर खेलते-कूदते मारते-पीटते
मगर दिल के कितने सच्चे थे।

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बचपन वाली डांट हो, मस्ती की शुरुआत हो।
ख्वाहिश की दुकान हो, सपनो की उड़ान हो।।


मां का दुलार हो, पापा का घोड़ा वाला प्यार हो।
बारिश की मीठी फुहार हो, मिट्टी की सोंधी बहार हो।।


दूध में चमाट हो , बेफिक्री का हिसाब हो।
अजूबे में तुम आठ हो, जिंदगी की खूबसूरत शुरुआत हो।।



ज़िद की शौकीन हो,रात की गहरी नींद हो।
कविता में तुम पाठ हो, तारों वाली छांव हो।।


नटखट बातों की धार हो, कागज वाली नाव हो।
कंचे की तुम गोली हो, गुडे गुड़िया वाली पहेली हो।।

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26 MAR 2021 AT 11:32

अलमारी में मीले हुए बचपन के
खिलौने
मेरी आँखों की उदासी को देख कर बोले,
"तुम्हे ही बहुत शोक था बड़े होने
का..!!"😒

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